'ट्रायल पूरा होने तक केवल प्रीपेड मोबाइल नंबर रखें': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की 'पीछा' करने वाले आरोपी के लिए जमानत शर्त

Shahadat

8 Aug 2023 10:40 AM IST

  • ट्रायल पूरा होने तक केवल प्रीपेड मोबाइल नंबर रखें: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की पीछा करने वाले आरोपी के लिए जमानत शर्त

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 'स्टॉकिंग' (आईपीसी की धारा 354 डी) के अपराध के आरोपी को जमानत देते हुए हाल ही में उस पर जमानत की शर्त लगाई कि जेल से रिहा होने के 15 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को ट्रायल पूरा होने तक 'प्रीपेड' सिम/मोबाइल फोन नंबर रखने का निर्देश दिया जाता है।

    हालांकि, न्यायालय द्वारा लगाया गया प्रतिबंध केवल प्रीपेड सिम [मोबाइल नंबरों] पर है, न कि आरोपी के स्वामित्व वाले पोस्ट-पेड कनेक्शन या लैंडलाइन नंबरों पर।

    जस्टिस अनूप चितकारा की पीठ ने संबंधित पुलिस इंस्पेक्टर/पुलिस आयुक्त को यह भी निर्देश दिया कि यदि आरोपी उक्त निर्देश का अनुपालन करने में विफल रहता है तो सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को आरोपी के सभी प्रीपेड सिम कार्ड (प्राथमिक सिम को छोड़कर) को निष्क्रिय करने का निर्देश दें।

    बदले में सभी प्रीपेड दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को संबंधित पुलिस इंस्पेक्टर/पुलिस आयुक्त के निर्देशों का पालन करने और आरोपी के नाम पर जारी सभी प्रीपेड मोबाइल फोन नंबरों को अक्षम करने का भी निर्देश दिया गया। यह शर्त सुनवाई पूरी होने या केस बंद होने तक, जो भी पहले हो, जारी रहेगी।

    कोर्ट ने यह आदेश अर्जुन सेन नामक व्यक्ति को जमानत देते हुए पारित किया, जिस पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 384, 420, 468, 471, 509 और 120-बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66 डी और 67 और विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    आरोपी ने दो एफआईआर के अपने आपराधिक इतिहास की घोषणा करते हुए मामले में नियमित जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।

    अदालत ने कहा कि सभी सह-अभियुक्तों को जमानत पर रिहा किया गया और याचिकाकर्ता के मामले के अनुसार, वह मुख्य आरोपी नहीं है।

    इसके अलावा, लगाए गए दंडात्मक प्रावधानों जैसे कि प्री-ट्रायल हिरासत, आरोपों की प्रकृति के प्रथम दृष्टया विश्लेषण और इस मामले के विशिष्ट अन्य कारकों पर विचार करते हुए न्यायालय ने पाया कि इस स्तर पर इस आदेश में उल्लिखित नियमों और शर्तों के अनुपालन के अधीन प्री-ट्रायल कैद के आगे कोई औचित्य नहीं होगा।

    इसलिए अदालत ने इस स्तर पर आरोपी के पिछले आपराधिक इतिहास को जमानत से इनकार करने के कारक के रूप में नहीं माना और उसकी याचिका स्वीकार कर ली।

    गौरतलब है कि किसी आरोपी को जमानत देते समय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट उस व्यक्ति पर कई शर्तें लगा रहा है: स्मार्टफोन खरीदें, हमेशा जीपीएस चालू रखें और फोन को फॉर्मेट न करें या उसके व्हाट्सएप चैट या कॉल लॉग डिलीट न करें।

    जस्टिस चितकारा ने गुरशरणजीत सिंह उर्फ सनी बनाम पंजाब राज्य और उम्मेद सिंह बनाम हरियाणा राज्य जैसे कई अन्य जमानत मामलों में आरोपी के लिए स्मार्टफोन खरीदने की समान शर्तें लगाई।

    जस्टिस चितकारा ने लाइव लॉ द्वारा बताए गए अन्य फैसले में बलात्कार के मामले में पूर्व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस को जमानत देते हुए उन्हें हथियार लाइसेंस के साथ अपने सभी हथियार सरेंडर करने का आदेश दिया।

    केस टाइटल - अर्जुन सैन बनाम यू.टी. राज्य (चंडीगढ़) [सीआरएम-एम-29089-2023]

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