देश के 53वें चीफ जस्टिस बने जस्टिस सूर्यकांत, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

Praveen Mishra

24 Nov 2025 10:50 AM IST

  • देश के 53वें चीफ जस्टिस बने जस्टिस सूर्यकांत, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

    जस्टिस सूर्यकांत ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई, जो जस्टिस सूर्यकांत ने हिंदी में ली। CJI के रूप में उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।

    शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, पूर्व CJI बीआर गवई, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित कई केंद्रीय मंत्री—हरदीप सिंह पुरी, एचडी कुमारस्वामी, पीयूष गोयल,जेपी नड्डा—और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उपस्थित रहे।

    जस्टिस सूर्यकांत का प्रारंभिक जीवन और कानूनी सफर

    जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार ज़िले के गांव पेटवार में हुआ। उन्होंने 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून की डिग्री प्राप्त की और उसी वर्ष हिसार जिला अदालत में वकालत शुरू की। 1985 में वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट, चंडीगढ़ में स्थानांतरित हो गए, जहाँ उन्होंने संवैधानिक, सेवा और सिविल मामलों में विशेषज्ञता हासिल की।

    7 जुलाई 2000 को उन्हें हरियाणा का सबसे युवा महाधिवक्ता (Advocate General) नियुक्त किया गया और इसी दौरान उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा भी मिला। वे 9 जनवरी 2004 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी जज के रूप में पदोन्नत हुए।

    एक जज के रूप में उन्होंने 2007 से 2011 तक राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की गवर्निंग बॉडी के सदस्य के रूप में कार्य किया। वर्ष 2011 में उन्होंने एलएलएम में प्रथम श्रेणी प्रथम स्थान प्राप्त किया। 5 अक्टूबर 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नत किया गया।

    14 मई 2025 से वे NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सेवाएं दे रहे हैं और इंडियन लॉ इंस्टिट्यूट की कई समितियों में भी सदस्य हैं।

    यह नियुक्ति न्यायपालिका में उनके लंबे अनुभव, संवैधानिक समझ और सार्वजनिक सेवा में उनके योगदान को दर्शाती है।








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