जेकेएल हाईकोर्ट ने 'बीजेपी एजेंट' होने की अफवाहों पर खुद को खतरा होने की आशंका व्यक्त करने वाले व्यक्ति को सुरक्षा देने से इनकार किया
Shahadat
24 Dec 2022 12:08 PM IST
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में याचिकाकर्ता को सुरक्षा कवर देने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता के इलाके में अफवाहें हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी यानी 'भाजपा एजेंट' है।
जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की पीठ ने कहा कि अधिकारियों ने पहले ही खतरे का आकलन किया और उसे व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक नहीं समझा गया।
टैंकी मोहल्ला, जामिया मस्जिद श्रीनगर के मोहम्मद अशफाक हुसैन हांडू ने व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कहा गया कि श्रीनगर में रहने के दौरान उसे और उसके भाई मंजूर अली हांडू को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए जम्मू एंड कश्मीर सरकार को कश्मीर घाटी में स्थिति और परिस्थितियों के अनुसार, निर्देश जारी किए जाएं।"
अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि वह पिछले तीस वर्षों से कश्मीर से बाहर रहने के बाद पुराने शहर श्रीनगर जामिया मस्जिद में रहना चाहता है और चूंकि वह अपने पड़ोस को अच्छी तरह से नहीं जानता, इसलिए इस बात की संभावना है कि उसे नुकसान होगा और ऐसे में वह हमलावर को पहचान नहीं पाएगा।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि उक्त पड़ोस कभी आतंकवादियों का अड्डा है और कुछ पूर्व आतंकवादी अभी भी क्षेत्र में सक्रिय हो सकते हैं।
पीठ के समक्ष सुरक्षा की गुहार लगाते हुए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि उनके बारे में अफवाहें हैं कि वह भाजपा का एजेंट है, इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि याचिकाकर्ता को खतरा हो सकता है।
याचिका का विरोध करते हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल आसिफा पादरू ने प्रस्तुत किया कि सुरक्षा कवर गृह मंत्रालय की "येलो बुक" में निर्धारित खतरे के आकलन रिपोर्ट के आधार पर दिया जाताहै और खतरे की धारणा रिपोर्ट का मूल्यांकन CID विंग द्वारा किया जाता है। फील्ड एजेंसियों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर पुलिस और खतरों का सामना करने वाले व्यक्ति को सुरक्षा समीक्षा समन्वय समिति में वर्गीकृत किया गया।
आसिफा ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता का मामला 27 सितंबर, 2022 को CID J&K को भेजा गया, जिसके जवाब में CID ने कहा कि खतरे आंकलन 10 में से 03 आंका गया, जो कम है।
उक्त CID रिपोर्ट के बल पर वकील ने तर्क दिया कि 2 दिसंबर, 2022 की खतरे के आकलन की रिपोर्ट (TAR) याचिकाकर्ता के लिए कम खतरे का खुलासा करती है और याचिकाकर्ता के सामने आने वाले किसी विशेष खतरे को प्रकट नहीं करती। इसलिए याचिकाकर्ता सुरक्षा कवर और वर्गीकरण का हकदार नहीं है।
दोनों पक्षों को सुनने और इस विषय पर CID रिपोर्ट पर विचार करने के बाद पीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल : यांग बुर्ज होम बनाम यूटी ऑफ जम्मू-कश्मीर व अन्य।
याचिकाकर्ता के लिए वकील: याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से।
प्रतिवादी के वकील: आसिफा पडरू एएजी
साइटेशन : लाइवलॉ (जेकेएल) 262/2022
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