जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने 4G मोबाइल इंटरनेट सेवा पर से प्रतिबंध हटाया

LiveLaw News Network

6 Feb 2021 6:13 AM GMT

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    केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के मद्देनजरहाई स्पीड मोबाइल इंटरनेट के निलंबन के लगभग 550 दिनों के बाद शुक्रवार को जम्मू और कश्मीर के गृह विभाग ने क्षेत्र में मोबाइल 4जी डेटा सेवाओं पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है।

    हालाँकि, प्री-पेड सिम कार्ड धारकों को पोस्ट-पेड कनेक्शनों पर लागू मानदंडों के अनुसार सत्यापन के बाद ही इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा दी जाएगी।

    कहा जा रहा है कि नवीनतम आदेश एक विशेष समिति की सलाह के आधार पर लिया गया है, जिसे 4 फरवरी को हुई बैठक के बाद फाउंडेशन ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्स केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार गठित किया गया था।

    इसके साथ ही अधिकारियों को प्रतिबंधों के ख़त्म होने से पैदा होने वाले प्रभाव की "बारीकी से निगरानी" करने के लिए निर्देशित किया गया है।

    इससे पहले, जम्मू और कश्मीर में बिजली और सूचना विभाग के प्रधान सचिव रोहित कंसल (आईएएस) ने ट्विटर के माध्यम से सूचित किया था कि पूरे जम्मू-कश्मीर में 4जी सेवाओं को बहाल किया जा रहा है।

    अनुराधा भसीन मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन विशेष दर्जा वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के पांच महीने बाद जनवरी 2020 में एक पूर्ण संचार ब्लैकआउट लागू किया था। इसके बाद नेट सेवाओं को आंशिक रूप से बहाल किया गया था, जिसमें केवल मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए 2जी स्पीड तक लोगों की पहुंच केवल एक चयनित "व्हाइट-लिस्टिड" साइटों को प्रदान की गई थी और सोशल मीडिया को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

    10 जनवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि इंटरनेट का अनिश्चितकालीन निलंबन स्वीकार्य नहीं है और इंटरनेट पर प्रतिबंधों को अनुच्छेद 19 (2) के तहत समानता के सिद्धांतों का पालन करना होगा।

    सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को पिछले साल 4 मार्च को हटा लिया गया था, लेकिन मोबाइल डेटा की स्पीड को 2G के ही रखा गया था।

    बाद में, पिछले साल 16 अगस्त को केंद्र ने दो जिलों- गंडरबल (कश्मीर डिवीजन) और उधमपुर (जम्मू डिवीजन) में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल किया और अन्य 18 जिलों में आंतकवाद के खतरे का हवाला देते हुए हाई स्पीड इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा था।

    इंटरनेट सेवाओं की बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमेबाजी

    जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं बहाल करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो दौर की मुकदमेबाजी हुई।

    जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने के तुरंत बाद दायर किए गए मामलों के पहले मुकदमे का फैसला जनवरी 2020 में अनुराधा भसीन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में आया। हालांकि फैसले में अभिव्यक्ति, व्यापार और बोलने की आजादी के लिए इंटरनेट की आवश्यकता के बारे में कहा गया था, लेकिन इस फैसले में इंटरनेट सेवाओं की तत्काल बहाली का निर्देश नहीं दिया गया और समीक्षा के लिए इस मामले को केंद्र सरकार को सौंप दिया।

    बाद में, COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि लॉकडाउन के दौरान 4जी स्पीड की कमी से चिकित्सा सेवा, शिक्षा, व्यापार और वाणिज्य प्रभावित हो रहा है, क्योंकि देश भर में लॉकडाउन के कारण इस तरह की सेवाएं ऑनलाइन माध्यम से दी जा रही हैं। महामारी और लॉकडाउन के दौरान इस क्षेत्र में हाई स्पीड इंटरनेट से इनकार करते हुए अधिकारियों ने दावा किया कि हाई स्पीड नेट की कमी ने COVID-19 महामारी को नियंत्रित करने वाले उपायों, ऑनलाइन शिक्षा या व्यवसाय को प्रभावित नहीं किया है।

    फाउंडेशन ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के फैसले के अनुसार मई 2020 में उन मामलों का निस्तारण किया गया, जिसमें इंटरनेट सेवाओं की तत्काल बहाली का आदेश नहीं दिया गया, लेकिन प्रतिबंधों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय विशेष समिति का गठन किया गया। फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना ​​याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि केंद्र ने समिति के गठन के बिना प्रतिबंधों को बढ़ा दिया। केंद्र ने पीठ को बताया कि समिति का गठन कर दिया गया है और उसने आतंकवाद के खतरे के कारण प्रतिबंधों को जारी रखने का फैसला किया है।

    हालाँकि, इस दौरान अवमानना ​​याचिकाएं लंबित थीं।

    अटॉर्नी जनरल ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 15 अगस्त के बाद दो जिलों में 4जी सेवाओं को बहाल किया जाएगा।

    दो हफ्ते पहले, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ऑफ जे एंड के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि हाई स्पीड नेट की कमी छात्रों के शिक्षा के अधिकार को प्रभावित कर रही है।

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