क्या दूसरे देशों द्वारा COVAXIN को मान्यता न देने के कारण नागरिकों की नौकरी के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है? केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा
LiveLaw News Network
16 Nov 2021 12:04 PM GMT
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को सरकार से सवाल किया कि क्या राज्य प्रायोजित COVAXIN योजना के कारण अपनी नौकरी खोने वाले नागरिक की शिकायत का निवारण करना उसका कर्तव्य नहीं है। कुछ देशों द्वारा COVAXIN की गैर-मान्यता के विषयआलोक में यह प्रश्न किया गया।
इस महीने की शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारतीय दवा कंपनी भारत बायोटेक द्वारा विकसित एक COVID-19 वैक्सीन COVAXIN को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी थी।
हालांकि, याचिकाकर्ता के अनुसार, अधिवक्ता मानस पी. हमीद द्वारा प्रस्तुत किया गया कि सऊदी अरब ने अभी तक वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है और यह फैसला उसे अपने रोजगार के लिए किंगडम लौटने से रोक रहा है।
न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने अपना रुख दोहराया कि सरकार याचिकाकर्ता की चिंताओं के प्रति जवाबदेह है:
"यह न्यायालय यह नहीं कह सकता कि याचिकाकर्ता को कोविशील्ड का बूस्टर शॉट प्रदान किया जाना चाहिए। लेकिन यह एक बड़ी दुर्घटना है; मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। अब देश में लोगों के दो समूह हैं - एक वे जिन्हें कोविशील्ड वैक्सीन दी गई, वे अंतरराष्ट्रीय यात्रा कर सकते हैं। दूसरे, जिन्होंने कोवैक्सिन को चुना है उन्हें ऐसा करने से रोका जाता है। क्या सरकार इसके लिए जवाबदेह नहीं है? क्या उनकी शिकायत का निवारण करना सरकार का कर्तव्य नहीं है?"
भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल एस मनु ने जवाब दिया कि इन वैक्सीन को सरकार द्वारा एक महामारी के दौरान जान बचाने के लिए पेश किया गया और उस समय इन वैक्सीन के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता की प्रतीक्षा करना व्यावहारिक या व्यवहार्य नहीं था।
बेंच ने तब स्पष्ट किया:
"मैं केंद्र सरकार को बिल्कुल भी दोष नहीं दे रहा हूं। मैं बस इतना कह रहा हूं कि यह एक व्यक्तिगत चिंता है और उन्हें अपने कार्यस्थल पर वापस जाने से रोका जाता है, इसलिए इसका निवारण किया जाना चाहिए।"
एएसजीआई ने तब कोर्ट को सूचित किया कि WHO की मंजूरी के अनुसार, कई अलग-अलग देशों जैसे यूके ने COVAXIN को मान्यता देना शुरू कर दिया है। फिर उन्होंने कहा कि वह उसी में सऊदी अरब के रुख की पुष्टि करेंगे। यह भी निवेदन किया गया कि दूसरे देश द्वारा अपना स्टैंड लागू कराने की सरकार की अपनी सीमा है।
कोविशील्ड के बूस्टर शॉट की प्रार्थना के संबंध में एएसजीआई ने जवाब दिया कि जनहित को एक उच्च पद पर रखना होगा।
अदालत ने तदनुसार एएसजीआई को सऊदी अरब में COVAXIN की मान्यता के संबंध में विशिष्ट निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया।
29 नवंबर को फिर मामले की सुनवाई की जाएगी।
याचिकाकर्ता, एक अनिवासी भारतीय है, जो सऊदी अरब में काम करता है। उसे भारत आने पर COVAXIN की दो खुराकें दी गई थीं।
हालांकि, वैक्सीन लगाने के बाद उन्हें पता चला कि COVAXIN को सऊदी अरब सरकार द्वारा मान्यता नहीं दी गई। किंगडम केवल कोविशील्ड को मंजूरी देता है, जो एस्ट्राजेनेका के बराबर है।
इसलिए, याचिकाकर्ता ने तीसरी बार अदालत का रुख किया और अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त वैक्सीन का टीका नहीं लगाया गया तो वह सऊदी में अपनी नौकरी खो सकता है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आग्रह किया कि यह समय COVID-19 वैक्सीन की मिश्रित खुराक का पता लगाने का है। राज्य ने पहले अदालत को सूचित किया कि COVID-19 वैक्सीन की तीसरी खुराक देने की प्रभावकारिता का पता लगाने के लिए नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं और इसे पूरा होने में कुछ और महीने लगेंगे।
केस शीर्षक: गिरिकुमार थेकन कुन्नुमपुरथ बनाम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और अन्य।