न्यायिक अधिकारियों और कोर्ट स्टाफ के साथ-साथ प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं और क्लर्कों को भी वैक्सीन प्राथमिकता सूची में शामिल करेंः केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया
LiveLaw News Network
3 Jun 2021 8:15 PM IST
कानूनी बिरादरी के सदस्यों को एक महत्वपूर्ण राहत देते हुए केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 10 दिनों के भीतर 18-45 वर्ष के आयु वर्ग के लिए COVID19 वैक्सीन प्राथमिकता सूची में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं और उनके क्लर्कों को शामिल करने का निर्देश दिया है।
न्यायालय ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए निर्देश पारित किया है कि सरकार ने 2 जून को न्यायाधीशों और अदालत के कर्मचारियों को वैक्सीन प्राथमिकता सूची में शामिल करने का आदेश जारी किया है, लेकिन वकीलों और क्लर्कों को इस सूची से बाहर रखा है।
कोर्ट ने कहा कि वकीलों और क्लर्कों को बाहर करने से जजों और कोर्ट स्टाफ को प्राथमिकता देने का मकसद खत्म हो जाएगा।
जस्टिस ए मोहम्मद मुस्तक और जस्टिस डॉ कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश में कहा गया हैः
''इस तथ्य के आलोक में कि सरकार ने न्यायपालिका के न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले ही प्राथमिकता श्रेणी में शामिल कर लिया है, हमारा विचार है कि प्रैक्टिस करने वाले वकीलों और क्लर्कों को भी शामिल किया जा सकता है, अन्यथा न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को इस सूची में शामिल करने का मूल उद्देश्य अर्थहीन हो जाएगा। लाभ केवल उन वकीलों और क्लर्कों को दिया जाना चाहिए जो वास्तव में प्रैक्टिस में लगे हुए हैं। ऐसे वकीलों और क्लर्कों का पता लगाने के लिए सरकार कोई भी तौर-तरीका तैयार कर सकती है। इसलिए, हम सरकार को दिनांक 2.6.2021 के सरकारी आदेश के आलोक में न्यायिक अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के साथ-साथ प्रैक्टिस करने वाले वकीलों और क्लर्कों को भी COVID19 वैक्सीन प्राथमिकता श्रेणी में शामिल करने का निर्देश देते हैं। आवश्यक कदम 10 दिनों की अवधि के भीतर उठाए जाएं।''
यह निर्देश बेनी एंटनी परेल द्वारा दायर एक याचिका में पारित किया गया है, जिसमें वकीलों, न्यायाधीशों, क्लर्कों और अदालत के कर्मचारियों के लिए टीकाकरण में प्राथमिकता देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट सैबी जोस किनदंगूर ने तर्क दिया कि वकीलों और क्लर्कों को प्राथमिकता सूची से बाहर करना न्यायाधीशों और अदालत के कर्मचारियों को शामिल करने के लिए प्रतिकूल होगा, क्योंकि इन श्रेणियों के व्यक्ति आपसी संपर्क में रहते हैं और न्याय के प्रशासन में उनकी सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
बेंच ने इस तर्क से सहमति जताई।
''महामारी की अवधि के दौरान न्याय का प्रशासन न्यायिक संस्थानों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। आज, इस देश में न्यायालयों द्वारा जारी किए गए कई निर्देश नागरिकों के बचाव में आए हैं, जो वैक्सीन सहित कई आवश्यक आपूर्ति से वंचित रहे हैं। न्याय प्रशासन में वकीलों और लिपिकों की समान भागीदारी होती है और उनकी सक्रिय भागीदारी के बिना संस्था अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकती है।
यदि सरकार ने हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को प्राथमिकता देने का फैसला किया है, उसी कारण से, वकील और क्लर्कों को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि वे न्याय के वितरण का अनिवार्य हिस्सा हैं और उनकी भागीदारी के बिना न्यायिक संस्था के लिए कार्य करना असंभव है।
अधिवक्ता श्री सैबी जोस किनदंगूर द्वारा ठीक इंगित किया गया है कि यदि इस सूची से प्रैक्टिस करने वाले वकीलों और क्लर्कों को बाहर कर दिया जाएगा तो हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को प्राथमिकता श्रेणी में शामिल करने की पूरी कवायद व्यर्थ हो जाएगी।''
राज्य सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा पारित आदेश के अनुसार निम्नलिखित श्रेणियों को शामिल किया गया थाः
-पुलिस प्रशिक्षु
-फील्ड में काम कर रहे स्वयंसेवक
-मौसम विभाग के फील्ड कर्मचारी
-मेट्रो रेल के फील्ड वर्कर
-वाटर मेट्रो के फील्ड वर्कर
-जनजातीय कॉलोनियों में 18 वर्ष से ऊपर के सभी
-हज यात्री
- बिस्तर से उठने में अक्षम रोगी
-एम्बुलेंस चालक जिन्होंने अभी तक टीकाकरण नहीं करवाया है
-बैंक कर्मचारी (इस शर्त के अधीन कि व्यय संबंधित बैंकों द्वारा वहन किया जाना चाहिए)।
-चिकित्सा प्रतिनिधि।
-एयर इंडिया के फील्ड अधिकारी
-हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी
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