सिर्फ आरोपी को सबक सिखाने के लिए ट्रायल स्टेज की सजा नहीं बढ़ाई जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट ने किडनैपिंग मामले में आरोपी को दी जमानत

Shahadat

21 Jun 2023 4:30 AM GMT

  • सिर्फ आरोपी को सबक सिखाने के लिए ट्रायल स्टेज की सजा नहीं बढ़ाई जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट ने किडनैपिंग मामले में आरोपी को दी जमानत

    Delhi High Court

    दिल्ली हाईकोर्ट ने फिरौती के लिए अपहरण के मामले में करीब दो साल नौ महीने की हिरासत के बाद आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि मुकदमे के चरण में केवल आरोपी को सबक सिखाने के मकसद से कारावास की सजा नहीं बढ़ाई जा सकती।

    जस्टिस विकास महाजन ने कहा कि यह सामान्य बात है कि अपराध की गंभीरता ही जमानत से इनकार करने का एकमात्र मानदंड नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    "जिस व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया गया, उसे केवल हिरासत में रखा जाना चाहिए, अगर यह संभावना है कि वह फरार हो सकता है या सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है या गवाह को धमका सकता है। केवल इसलिए कि अपराध गंभीर प्रकृति का है, यह विचाराधीन व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अनिश्चित काल के लिए कम करने देने का आधार नहीं हो सकता है।"

    अदालत ने कहा कि चार्जशीट पहले ही दायर की जा चुकी है और याचिकाकर्ता से कोई बरामदगी करने की आवश्यकता नहीं है, जो सितंबर, 2020 से हिरासत में है।

    अदालत थाना न्यू अशोक नगर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 364ए, 365, 342, 323, 506,102बी, 34 के तहत दर्ज मामले में आरोपी बनाए गए आरोपियों की जमानत याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी।

    अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दिया कि उसका अपहरण आरोपी व्यक्ति और उसकी प्रेमिका ने फिरौती के लिए किया। पीड़िता का आरोप है कि उसके साथ मारपीट भी की गई। उसका मोबाइल फोन भी आरोपी व्यक्ति ने ले लिया, जिससे फिरौती की मांग करते हुए कॉल और व्हाट्सएप मैसेज भेजे गए।

    शिकायत के अनुसार 40 लाख रुपये की मांग की गई।

    अदालत ने कहा कि पीड़िता की एक्जामिनेश-इन-चीफ पहले ही हो चुकी है और अभियोजन पक्ष द्वारा 23 गवाहों का हवाला दिया गया। उन्होंने कहा कि मुकदमे को पूरा करने में लंबा समय लगेगा।

    जस्टिस महाजन ने कहा,

    “मुकदमे के चरण में केवल आरोपी को सबक सिखाने के उद्देश्य से कारावास की अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती। अभियोजन पक्ष और अभियुक्त व्यक्तियों के बचाव के मामले की सुनवाई अभी बाकी है।”

    अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष का यह मामला नहीं है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा पीड़ित को कोई चोट पहुंचाई गई है। यहां तक कि पीड़िता के एमएलसी ने भी रिकॉर्ड किया कि "नग्न आंखों की जांच के माध्यम से कोई ताजा बाहरी चोट नहीं देखी गई।"

    अदालत ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा,

    "अभियोजन पक्ष का यह भी मामला नहीं है कि याचिकाकर्ता आदतन अपराधी या कठोर अपराधी है, जो जमानत पर रिहा होने की स्थिति में न्याय से भाग सकता है या फिर से ऐसी गतिविधियों में शामिल हो सकता है।"

    केस टाइटल: शाह आलम बनाम एनसीटी दिल्ली

    आवेदक की ओर से एडवोकेट आदित्य सिंह और राज्य की ओर से एपीपी अमित साहनी पेश हुए।

    जजमेंट पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story