हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? हर जगह राज्य बोर्ड हैं: 'वन नेशन-वन एजुकेशन बोर्ड' की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

11 Dec 2023 11:57 AM GMT

  • हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? हर जगह राज्य बोर्ड हैं: वन नेशन-वन एजुकेशन बोर्ड की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट

    "हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? हर जगह राज्य बोर्ड हैं”, दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को देश भर में वन-सिलेबस, वन-एजुकेशन बोर्ड लागू करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्करणा की खंडपीठ भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा "वन नेशन-वन एजुकेशन बोर्ड" की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    अदालत ने उपाध्याय से कहा,

    “सूचियों (भारत के संविधान के तहत) के बारे में क्या? हम सूचियों का ध्यान कैसे रखें?... हम उन्हें (राज्यों को) कैसे रोक सकते हैं?''

    उपाध्याय ने जवाब दिया कि यह पूरी तरह से समान अवसर का मामला है और जब मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि जैसे विभिन्न विषयों के लिए एक ही परीक्षा होती है तो अलग-अलग पाठ्यक्रम क्यों होने चाहिए।

    उपाध्याय के मौखिक अनुरोध पर अदालत ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) को जनहित याचिका में शामिल किया और उसकी प्रतिक्रिया मांगी।

    अब इस मामले की सुनवाई 14 मई 2024 को होगी।

    इससे पहले, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया था कि पूरे भारत में वन सिलेबस-वन एजुकेशन बोर्ड स्थानीय संदर्भ, संस्कृति और भाषा को ध्यान में नहीं रखता है।

    इसमें कहा गया था,

    “स्थानीय संसाधनों, संस्कृति और लोकाचार पर जोर देने के लिए लचीलेपन के साथ एक राष्ट्रीय ढांचा है। एक बच्चा ऐसे सिलेबस से बेहतर ढंग से जुड़ सकता है, जो स्कूल के बाहर उसके जीवन से अधिक निकटता से जुड़ा हो। इसलिए मुख्य सामान्य तत्व के अलावा पाठ्यक्रम और अन्य शैक्षिक संसाधनों की बहुलता वांछनीय है।''

    सीबीएसई ने यह भी कहा कि हालांकि NCERT को शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 7(6) के अनुसार नेशनल सिलेबस तैयार करने के लिए अकादमिक प्राधिकरण के रूप में अधिसूचित किया गया है, राज्यों ने NCERT और राज्य शिक्षा संस्थानों (SIE) जैसी राज्य एजेंसियों को भी सिलेबस तैयार करने के लिए अधिसूचित किया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि स्कूली शिक्षा समवर्ती सूची का मामला है।

    अपनी याचिका में उपाध्याय ने आरोप लगाया,

    “कड़वी सच्चाई यह है कि स्कूल माफिया वन नेशन-वन एजुकेशन बोर्ड नहीं चाहते, कोचिंग माफिया वन नेशन-वन सिलेबस नहीं चाहते हैं और पुस्तक माफिया सभी स्कूलों में NCERT की किताबें नहीं चाहते हैं। इसीलिए 12वीं कक्षा तक समान शिक्षा प्रणाली अभी तक लागू नहीं की जा सकी है।''

    केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ

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