'गृहणी की भूमिका कुशल कर्मचारी से बढ़कर': गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मोटर एक्सिडेंट मुआवजा बढ़ाया

LiveLaw News Network

24 Feb 2022 12:52 PM GMT

  • गृहणी की भूमिका कुशल कर्मचारी से बढ़कर: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मोटर एक्सिडेंट मुआवजा बढ़ाया

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक गृहिणी की भूमिका बहुआयामी है और उसे एक कुशल श्रमिक के रूप में चिन्हित करना घर को मैनेज करने में उसकी भूमिका के साथ पूर्ण न्याय नहीं है। इसलिए, एक मोटर दुर्घटना में उसकी मृत्यु के संबंध में मुआवजे की गणना निर्भरता की हानि को शामिल कर की जानी चाहिए।

    कोर्ट ने कहा,

    " मेरी सुविचारित राय में एक गृहिणी को 'कुशल कर्मचारी' के रूप में चिन्हित करना गृह प्रबंधक के रूप में उसकी बहुआयामी भूमिका के साथ पूर्ण न्याय नहीं है। लता वाधवा (इन्फ्रा) मामले में दुर्घटना और मौजूदा दुर्घटना के बीच 32 साल के अंतराल को ध्यान में रखते हुए, मेरा निष्कर्ष है कि एक गृहिणी एक कुशल श्रमिक से अधिक है और मौजूदा मामले में मृतक के योगदान का अनुमान बिना कटौती के 5,000/- रुपये के आंकड़े पर करना अनुचित नहीं होगा।"

    लता वाधवा और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य, (2001) 8 एससीसी 197, सुप्रीम कोर्ट ने एक गृहिणी के योगदान का मूल्यांकन रु 3,000/- प्रति माह किया था। चूंकि मामले के 32 साल बीत चुके हैं, इसलिए हाईकोर्ट ने मुआवजे की गणना 5,000 रुपये की।

    मोटर दुर्घटना वाहन न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे के खिलाफ मृतकों के आश्रितों द्वारा दायर एक मोटर दुर्घटना अपील में मौजूदा फैसला दिया गया। आश्रितों में नाबालिग बेटियां और विधवा मां हैं। उन्होंने दावा किया कि मुआवजे का आकलन करते समय निर्भरता के नुकसान पर विचार किया जाना चाहिए।

    हाईकोर्ट ने गृहिणी द्वारा किए गए अमूल्य योगदान पर जोर दिया, जिसकी गणना जितेंद्र खिमशंकर त्रिवेदी और अन्य बनाम कसम दाऊद कुंभर और अन्य (2015) वॉल्यूम 4 एससीसी 237 के भरोसे नहीं की जा सकती है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि एक गृहिणी/मां द्वारा किए गए घरेलू कार्यों का मुद्रीकरण करना कठिन है और निर्भरता के नुकसान की गणना करते समय उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली ऐसी सेवाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

    हाईकोर्ट ने यह भी नोट किया कि एक गृहणी की आय का आकलन करने के मामले में, जिस कानून का पालन किया जाना है, वह लता वाधवा और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य (2001) 8 एससीसी 197 में निर्धारित किया है, जिसके तहत कानून समान रूप से तय है कि मोटर दुर्घटना में मरने वाली गृहिणी की निर्धारित आय में से कोई कटौती नहीं की जा सकती है।

    इसके अलावा, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय शेठी और अन्य में सुप्रीम कोर्ट ने मृत्यु के मामले में पारंपरिक मदों पर उचित आंकड़े तय किए हैं, जो संपत्ति की हानि, साथ की हानि और अंतिम संस्कार पर क्रमशः 15,000 रुपये 40,000 रुपये और 15,000 रुपये हैं।

    तदनुसार, हाईकोर्ट ने मुआवजे की राशि को 4,25,000 रुपये से संशोधित कर 9,70,000 रुपये की और अपील का निस्तारण किया।

    केस शीर्षक: श्री मृणाल कांति देबनाथ और 6 अन्य बनाम मेसर्स यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और 2 अन्य।

    सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (गुवाहाटी) 16

    कोरम: जस्टिस मालाश्री नंदिक

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