हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
LiveLaw News Network
22 May 2021 6:40 PM IST
17 मई 2021 से 22 मई 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
'नौकरशाही और राजनीतिक नेताओं के लिए विफलताओं और अक्षमताओं को स्वीकार करना बहुत मुश्किल '': दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा है कि नौकरशाही और आज के राजनीतिक नेताओं के लिए विफलताओं और उनकी अक्षमता को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है और यह उनकी रगों में नहीं है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ दिल्ली ज्यूडिशियल मेंबर एसोसिएशन की तरफ से दायर एक आवेदन पर विचार कर रही थी। इस आवेदन में यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि न्यायिक सदस्यों और उनके परिवार को जिलों के भीतर एक केंद्रीकृत तंत्र स्थापित करके और प्रत्येक जिले में अस्पताल बनाकर पर्याप्त कोविड केयर सुविधाएं प्रदान की जाएं।
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'अर्नेश कुमार' मामले के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर हुई गिरफ्तारी के आधार पर आरोपी जमानत लेने का हकदार: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
कुछ दिनों पहले जेलों में भीड़भाड़ कम करने पर जोर देने के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (17 मई) को उच्चाधिकार प्राप्त समिति को प्राप्त सुझावों पर विचार करने और कैदियों की रिहाई पर अपनी सिफारिश करने का निर्देश दिया। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने COVID-19 की दूसरी लहर के बाद देश और मध्य प्रदेश की अभूतपूर्व स्थितियों के मद्देनजर शुरू की गई एक स्वतः संज्ञान रिट याचिका पर यह निर्देश दिया।
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"लोगों को लूटा जा रहा है, उनका दर्द हमारा दर्द है": एमिकस की रिपोर्ट पर एमपी हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल किया, कहा- वेंटिलेटर बिना इंस्टॉल और इस्तेमाल किए पड़े हैं
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में COVID-19 प्रबंधन के संबंध में दायर मामलों की सुनवाई करते हुए बुधवार (19 मई) को अस्पतालों द्वारा COVID-19 रोगियों से अधिक शुल्क लेने के मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, "जनता को लूटा जा रहा है, उनका दर्द हमारा दर्द है।" इसके अलावा, न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि राज्य समाधान के भीतर समस्याओं का पता लगा रहा है और पूछा कि राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों द्वारा शुल्क के युक्तिकरण के संबंध में और उसके नियंत्रण के निर्धारण के संबंध में क्या करने का प्रस्ताव रखा है।
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'हम आधी रात के बाद वेकेशन जज नहीं रह जाएंगे': बॉम्बे हाईकोर्ट ने परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई स्थगित की, गिरफ्तारी पर रोक
बॉम्बे हाईकोर्ट की वेकेशन बेंच ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की याचिका पर देर रात तक सुनवाई के बाद, उसे सोमवार के लिए स्थगित कर दिया। परमबीर सिंह ने ठाणे पुलिस द्वारा उन पर और 32 अन्य के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट, नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम और आईपीसी के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए मामला दर्ज कराया था। यह देखते हुए कि वे "आधी रात के बाद वे वेकेशन जज नहीं रह जाएंगे", जस्टिस एसजे कथावाला और जस्टिस एसपी तावड़े की खंडपीठ ने मामले को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया, साथ ही महाराष्ट्र सरकार को तब तक परमबीर सिंह को गिरफ्तार ना करने का निर्देश दिया।
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'बचाव के लिए उचित कदम उठाने संबंधित चिंता': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ब्लैक फंगस के प्रसार को रोकने के लिए पंजाब, हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से सहायता मांगी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ब्लैक फंगस के खतरे को देखते हुए इसके प्रसार को रोकने के लिए उचित कदम उठाने के संबंध में पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से सहायता मांगी है। न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति करमजीत सिंह की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के निजी डायग्नोस्टिक केंद्रों पर एचआरसीटी टेस्ट की कीमत कम करके 1800 रूपये की जाए।
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने नारदा मामले में 4 टीएमसी नेताओं को 'हाउस अरेस्ट' करने का आदेश दिया, सीबीआई की मांग ठुकराई
नारदा घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के बाद से 17 मई से हिरासत में रहे तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं की जमानत से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ में जजों के भिन्न विचार होने के बाद मामले को एक बड़ी पीठ को भेज दिया गया। इस बीच, खंडपीठ ने चार नेताओं मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और सोवन चटर्जी को हाउस अरेस्ट करने का आदेश दिया। इस दौरान उन्हें सभी चिकित्सा सुविधाएं दी जाएंगी।
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लिव-इन रिलेशनशिप सभी के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकता,लेकिन शादी के बिना साथ रहना कोई अपराध नहीं : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
एक और महत्वपूर्ण फैसले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार (18 मई) को कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप सभी के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकता, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि ऐसा रिश्ता अवैध है या विवाह का पवित्र रिश्ता बनाए बिना एक साथ रहना कोई अपराध है। न्यायमूर्ति जयश्री ठाकुर की खंडपीठ ने एक लिव-इन कपल से संबंधित एक मामले में यह टिप्पणी की है। पीठ ने माना कि वह दोनों बालिग हैं और उन्होंने इस तरह का रिश्ता बनाने का फैसला किया है। साथ ही उन्होंने लड़की के परिवार के सदस्यों से अपने जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
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हमें ढील नहीं देनी होगी और यह नहीं कहना चाहिए कि दूसरी लहर चली गई...हमें भविष्य के लिए तैयारी करनी है, ताकि अगली बार हमारी लापरवाही पकड़ी ना जाए": मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी ने तमिलनाडु में COVID मामलों के प्रबंधन को ट्रैक करने के लिए शुरु की गई स्वतः संज्ञान कार्यवाही के दरमियान आग्रह किया कि भविष्य के लिए तैयारी करनी होगी, जबकि राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य में COVID की स्थिति में सुधार हुआ है। चीफ जस्टिस ने कहा, "हमें भविष्य के लिए भी योजना बनानी होगी। हमें ढील नहीं देनी होगी और यह नहीं कहना चाहिए कि 'दूसरी लहर चली गई है! हमें भविष्य के लिए तैयारी करनी है, ताकि अगली बार हमारी लापरवाही पकड़ी ना जाए।",
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तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल साल 2013 रेप मामले में बरी
गोवा के जिला और सत्र न्यायालय, मापुसा ने 'तहलका' के संस्थापक और पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल को एक जूनियर सहयोगी के यौन उत्पीड़न और बलात्कार के सभी आरोपों से बरी किया। तरुण तेजपाल पर 7 और 8 नवंबर 2013 को समाचार पत्रिका के आधिकारिक कार्यक्रम - THiNK 13 उत्सव के दौरान गोवा के बम्बोलिम में स्थित ग्रैंड हयात होटल के लिफ्ट के अंदर महिला की इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती करने का आरोप लगाया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी ने पिछले महीने सात साल पुराने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। तेजपाल के कहने पर बंद कमरे में सुनवाई हुई।
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COVID-19 वैक्सीनेशन- सुनिश्चित करें कि बुजुर्ग नागरिकों को कतार में खड़ा होना न पड़े, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वालों को वॉक-इन वालों पर वरीयता दें: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जिन नागरिकों ने ऑनलाइन पंजीकरण के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराया है, उन्हें वैक्सीनेशन केंद्रों पर वॉक-इन (बिना रजिस्ट्रेशन के) लोगों पर वरीयता दी जाए। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने यह आदेश उस वक्त पारित किया जब अधिवक्ता जमशेद मास्टर ने अदालत को सूचित किया कि कुछ स्थानों पर वैक्सीन को बेतरतीब ढंग से दिया जा रहा है। नागरिकों के एक विशेष वर्ग को वॉक-इन वालों को वैक्सीन लगवाने की सुविधाओं की अनुमति है, लेकिन जिन लोगों ने CoWIN पोर्टल के माध्यम से उपयुक्त नियुक्ति प्राप्त की है, वे कमी का हवाला देते हुए वैक्सीन लगवाने से वंचित हैं।
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"उत्तराखंड में नेपाली नागरिकों को आधार कार्ड नहीं होने के कारण टीका नहीं लगाया जा रहा है": उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पत्र को याचिका के रूप में माना
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार (19 मई) को एक पत्र को 'पत्र याचिका' के रूप में स्वीकार करते हुई इस पर सुनवाई की। इस पत्र याचिका में कानून के एक छात्र ने बताया कि COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीनेश प्रक्रिया शुरू होने पर कई नेपाली नागरिकों को आधार कार्ड नहीं होने के कारण वैक्सीन नहीं दी जा रही है। मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ को दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के छात्र मेधा पांडे का एक पत्र मिला। इसमें कहा गया कि भारत में रह रहे कई नेपाली नागरिकों का वैक्सीनेशन नहीं किया जा रहा है, क्योंकि उन्हें आधार कार्ड जारी नहीं किया गया है। आधार कार्ड वैक्सीनेशन के उद्देश्य से पंजीकरण के लिए आवश्यक है।
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गर रेफरल अस्पताल को COVID सुविधा में बदल दिया गया है तो आरोपी को ऐसे वैकल्पिक अस्पताल में उपचार दिया जाना चाहिए, जो COVID सुविधा ना होः दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यदि रेफरल अस्पताल को समर्पित COVID सुविधा में बदल दिया गया है तो एक आरोपी व्यक्ति को, वैकल्पिक अस्पताल से संपर्क कर, आवश्यक उपचार प्रदान किया जाना चाहिए, ना कि समर्पित COVID सुविधा में। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की खंडपीठ जेलों की भीड़भाड़ कम करने, गैर-COVID रोगियों के अपेक्षित उपचार और अंडरट्रायल रिव्यू कमेटी के कामकाज नहीं करने से संबंधित कई याचिकाओं पर विचार कर रही थी।
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यूपी में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर लचर, कमजोर और ध्वस्त है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुधार के उपाय सुझाए
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार (17 मई) को इस बात पर जोर देते हुए कि कहा कि जब मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर जो सामान्य समय में हमारे लोगों की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता था, तो निश्चित रूप से वह वर्तमान महामारी का सामना कैसे कर सकता है? राज्य में लचर स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कई सुझाव दिए। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच ने कहा, "जहां तक चिकित्सा के बुनियादी ढांचे का सवाल है, इन कुछ महीनों में हमने महसूस किया है कि आज जिस तरह से यह खड़ा है, वह बहुत नाजुक, कमजोर और दुर्बल है।"