"हमें ढील नहीं देनी होगी और यह नहीं कहना चाहिए कि दूसरी लहर चली गई...हमें भविष्य के लिए तैयारी करनी है, ताकि अगली बार हमारी लापरवाही पकड़ी ना जाए": मद्रास हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

21 May 2021 7:08 AM GMT

  • हमें ढील नहीं देनी होगी और यह नहीं कहना चाहिए कि दूसरी लहर चली गई...हमें भविष्य के लिए तैयारी करनी है, ताकि अगली बार हमारी लापरवाही पकड़ी ना जाए: मद्रास हाईकोर्ट

    Madras High Court

    मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी ने तमिलनाडु में COVID मामलों के प्रबंधन को ट्रैक करने के लिए शुरु की गई स्वतः संज्ञान कार्यवाही के दरमियान आग्रह किया कि भविष्य के लिए तैयारी करनी होगी, जबकि राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य में COVID की स्थिति में सुधार हुआ है।

    चीफ ज‌स्ट‌िस ने कहा, "हमें भविष्य के लिए भी योजना बनानी होगी। हमें ढील नहीं देनी होगी और यह नहीं कहना चाहिए कि 'दूसरी लहर चली गई है! हमें भविष्य के लिए तैयारी करनी है, ताकि अगली बार हमारी लापरवाही पकड़ी ना जाए।",

    सुनवाई के दरमियान, चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथिल राममूर्ति की खंडपीठ ने यह भी कहा कि कि केंद्र की ओर से दायर बयान पिछली प्रस्तुति की पुनरावृत्ति प्रतीत होता है। इस पर एडिसनल सॉलिसिटर जनरल शंकरनारायण ने जवाब दिया कि वह सोमवार तक विस्तृत रिपोर्ट के साथ जवाब देंगे।

    कोर्ट ने कहा कि केंद्र के बयान में किसी भी योजना या निकट भविष्‍य में टीकों और दवाओं के आवंटन का कोई संकेत नहीं है।

    बेंच ने कहा कि कार्य योजना पर एक विस्तृत रिपोर्ट दायर की जाएगी।

    दवाओं और ऑक्सीजन की आपूर्ति पर

    कोर्ट ने एडवोकेट जनरल आर. शुनमुगसुंदरम और पुडुचेरी सरकार के वकील की दलीलों पर ध्यान दिया कि तमिलनाडु राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी को आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी। तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव की ओर से दायर एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, चीफ जस्टिस ने कहा कि इस्टर्न कॉर‌िडोर से 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन नियमित आधार पर नहीं दी जा रही है।

    एडवोकेट जनरल ने कहा कि राज्य मौजूदा आपूर्ति के साथ प्रबंधन करने में सक्षम है, हालांकि चीफ जस्टिस बनर्जी ने कहा, "वे (राज्य) राश‌निंग कर रहे हैं, गंभीर रोगियों के लिए कॉन्सनट्रेटर्स का उपयोग कर रहे हैं, जबकि गंभीर रोगियों के लिए लि‌‌‌क्विड ऑक्सीजन का ..."

    तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में आपूर्ति की कमी पर ध्यान देते हुए, कोर्ट ने कहा, "लेकिन चेन्नई तमिलनाडु नहीं है ... हमें दक्षिणी जिलों में संसाधनों को बढ़ाने की जरूरत है"।

    चीफ जस्टिस के नेतृत्व में पीठ ने अपने फैसले में निर्देश दिया कि तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी को ऑक्सीजन की आपूर्ति में वृद्धि होनी चाहिए, और कहा कि केंद्र ने ऑक्सीजन की आपूर्ति में वृद्धि की है ताकि तमिलनाडु और पुडुचेरी सहित सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को समान और बढ़ी हुई आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

    मामले में भेल की ओर से प्रस्तुत किया गया कि वह ऑक्सीजन प्लांट खोलने जा रहा है। चीफ जस्टिस ने इस मामले में कहा कि उन्हें उम्‍मीद है कि प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।

    स्टरलाइट प्लांट के वकील ने कोर्ट को बताया कि स्टरलाइट ने थूथुकुडी मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए थूथुकुडी में प्लांट खोला है, जिसे कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया है।

    दिलचस्प बात यह है कि आदेश दिए जाने के बाद, भेल के वकील ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि संयंत्र ने अभी तक ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू नहीं किया है, इसके लिए निविदाएं जारी करने की प्रक्रिया में है। हालांकि, कोर्ट ने इस समय तक सुनवाई से लॉग आउट कर दिया था।

    टीकों पर

    कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा दायर रिपोर्ट में 18+ आयु वर्ग के लिए टीकाकरण अभियान शुरू होने का संकेत दिया गया है।

    अदालत ने कहा, "टीके की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो सकती है …"।

    कोर्ट ने राज्य को स्पुतनिक की खुराक की खरीद पर निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया, जिसकी एक ही खुराक है।

    वैक्सीन की दो खुराक के बाद बूस्टर खुराक की आवश्यकता होगी या नहीं, इस मुद्दों पर न्यायालय ने केंद्र सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया। सुनवाई के दरमियान वकील ने दलील दी कि माना जा रहा है कि टीके की दो खुराकों से दी गई सुरक्षा एक साल तक भी नहीं टिकती है।

    कोर्ट ने आदेश दिया, "इस संबंध में केंद्र की ओर से कुछ स्पष्टता की जरूरत है।"

    परीक्षण पर

    ऐसी शिकायतों पर कि COVID परीक्षणों के परिणाम कई दिनों बाद दिए जा रहे हैं, कोर्ट ने परीक्षण केंद्रों को जल्द से जल्द परिणाम देने का निर्देश दिया ताकि पॉजिट‌िव व्यक्ति तुरंत आइसोलेट हो सकें।

    श्मशान शुल्क पर

    चीफ जस्टिस बनर्जी ने राज्य को स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार गरिमा के सा‌थ हो।

    कोर्ट ने कहा, "गैरकानूनी मांगों की कई रिपोर्टें हैं...स्थानीय प्रशासन को ऐसे मामलों से सख्ती से निपटना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि इस पर रोक हो।"

    स्वच्छता पर

    इस संबंध में, कोर्ट ने ग्रेटर चेन्नई नगर निगम द्वारा ‌डिसइन्फैक्ट और सैनिटाइजर के 'अनावश्यक' उपयोग के दुष्प्रभावों पर दायर एक हलफनामे का उल्लेख किया।

    उक्त निर्देशों के साथ चीफ जस्टिस बनर्जी ने मामले को सोमवार को सुनवाई के लिए तय कर दिया।

    केसः स्‍वतः संज्ञान बनाम यूनियन ऑफ इं‌डिया

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