हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यक समुदायों के स्कूली छात्रों को ट्यूशन फीस की अदायगी के लिए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया
Shahadat
6 Sept 2022 11:15 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के मान्यता प्राप्त पब्लिक स्कूलों में कक्षा एक से बारहवीं के बीच पढ़ने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को ट्यूशन फीस और अन्य अनिवार्य शुल्क की अदायगी (Reimbursement) के लिए दिल्ली सरकार द्वारा अधिसूचित योजना को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार, उसके शिक्षा निदेशालय और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग से जवाब मांगा।
जनहित याचिका चार्टर्ड एकाउंटेंट अविनाश मल्होत्रा द्वारा दायर की गई, जिसका प्रतिनिधित्व एडवोकेट अवंतिका मनोहर और धवेश पाहुजा के माध्यम से किया गया।
लागू योजना के अनुसार, अल्पसंख्यक छात्र जिनकी पारिवारिक आय तीन लाख रुपये से कम है, प्रति वर्ष दिल्ली में मान्यता प्राप्त पब्लिक स्कूलों में ट्यूशन फीस और अन्य अनिवार्य शुल्क अदायगी के पात्र हैं।
याचिकाकर्ता का मामला यह है कि नीति भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है, क्योंकि यह निम्न-आय वाले परिवारों के सभी छात्रों को लाभ नहीं देती है।
यह तर्क दिया गया कि अदायगी लागू योजना के अनुसार केवल अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए उपलब्ध है और जो व्यक्ति निम्न स्तर की आय वाले परिवारों से संबंधित हैं, उन्हें उनके धर्म और जाति के आधार पर पूरी तरह से बाहर रखा गया है।
याचिका में कहा गया,
"यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 15(4) या 15(6) के अनुरूप है। यह तर्क दिया गया कि केवल सभी अल्पसंख्यक छात्रों के लिए इस आरक्षण को सही ठहराने के लिए कोई मात्रात्मक डेटा नहीं है। यह उन व्यक्तियों के साथ भेदभाव करता है जिनकी पारिवारिक आय 3.00 लाख रुपये से कम है और जो अल्पसंख्यक समुदायों से नहीं हैं।"
इसके अलावा, याचिका में कहा गया कि केवल अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित व्यक्तियों को योजना का लाभ देकर उक्त नीति अनुच्छेद 15(6) के सक्षम प्रावधान के अनुरूप नहीं है।
याचिका में विरोध करते हुए कहा गया,
"यदि कम आय वाले परिवारों के सभी लोगों को शुल्क की अदायगी की जाती है तो नीति सक्षम प्रावधान के अंतर्गत आ जाएगी, जो कि अनुच्छेद 15(6) है। हालांकि, यदि यह प्रतिवादी के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है तो उनके पास कोई विकल्प नहीं होगा, क्योंकि यह अनुच्छेद 15 के प्रावधान के तहत नहीं आता है।"
इसमें कहा गया,
"क्योंकि वर्तमान नीति के तहत अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित वार्षिक पारिवारिक आय 2,95,000 रुपये वाला छात्र ही ट्यूशन फीस की वापसी के लिए पात्र होगा, लेकिन एक छात्र जिसकी वार्षिक पारिवारिक आय 100,000 रुपये है, जो अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित नहीं हैं, फीस वापसी का हकदार नहीं होगा। यह तर्क दिया जाता है कि यह नीति को अन्यायपूर्ण और स्पष्ट रूप से मनमाना बनाता है।"
इस प्रकार याचिका में आक्षेपित नीति को समाप्त करने की मांग की गई, क्योंकि यह 'अल्पसंख्यकों' शब्द का उपयोग करती है और दिल्ली सरकार को सभी निम्न आय वाले परिवारों को नीति का लाभ प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग करती है, जो नीति से लाभान्वित होंगे, यदि इसे अल्पसंख्यकों तक सीमित नहीं किया गया।
मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।
केस टाइटल: अविनाश मेहरोत्रा बनाम एनसीटी ऑफ दिल्ली और अन्य