याचिकाकर्ता नशे का आदी हो चुका है, उसे मुख्यधारा में लाने के लिए पुनर्वास केंद्र में भेजे जाने की जरूरतः हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय एनडीपीएस एक्ट के आरोपी को जमानत दी

LiveLaw News Network

8 Jan 2021 9:25 AM GMT

  • याचिकाकर्ता नशे का आदी हो चुका है, उसे मुख्यधारा में लाने के लिए पुनर्वास केंद्र में भेजे जाने की जरूरतः हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय एनडीपीएस एक्ट के आरोपी को जमानत दी

    हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह देखते हुए जमानत याचिकाकर्ता मादक पदार्थ का आदी हो चुका है और उसे पुनर्वास केंद्र में ले जाने की आवश्यक है, ताकि उसे मुख्यधारा में लाने के प्रयास किए जाएं, बुधवार को (06 जनवरी) एनडीपीएस एक्ट के तहत एक आरोपी को जमानत दी।

    जस्टिस संदीप शर्मा की खंडपीठ ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टांस एक्ट, 1985 की धारा 21 के तहत गिरफ्तार गौरव कुमार की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। गौरव कुमार 10 अक्टूबर 2020 से जेल में बंद था।

    मामले के तथ्य

    अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, पुलिस ने 10 अक्टूबर 2020 को कथित रूप से एक मोटरसाइकिल को पकड़ा था। मोटरसाइकिल की तलाशी के बाद कथित रूप से मोटरसाइकिल की डिक्की से 9.41 ग्राम हेरोइन / चिट्टा बरामद किया गया था।

    मामले में एक अन्य आरोपी मोक्ष को पहले ही जमानत पर बाहर है, हालांकि गौरव की जमानत अर्जी इस आधार पर खारिज ाहो गई थी कि पहले से भी उसके खिलाफ एक मामला इसी एक्ट के तहत दर्ज है

    राज्य की ओर से दलील दी गई की उसे 10 महीने के लिए दोषी ठहराया गया था (एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराध के लिए) और उसे जमानत पर रिहा करना न्याय के हित में नहीं हो सकता। जमानत पर रिहा होने की स्थिति में, वह ना केवल न्याय से भाग सकता हैं, बल्कि फिर से ऐसे कामों में लिप्त हो जाएगा।

    कोर्ट का अवलोकन

    अदालत ने पाया कि इस घटना में शामिल मोटरसाइकिल जमानत याचिकाकर्ता (गौरव) के नाम पर नहीं थी और इसलिए "कथित अपराध में जमानत याचिकाकर्ता के शामिल होने का निष्कर्ष बहुत ‌ही असामय‌िक होगा"।

    कोर्ट ने यह भी नोट किया कि 9.41 ग्राम हेरोइन/चिट्टा उसके कब्जे से बरामद नहीं किया गया है, बल्‍कि "मोटरसाइकिल के डिक्की से मिला है, जो किसी अन्य व्यक्ति का है।"

    न्यायालय ने यह भी कहा कि जबकि यह सच है कि वर्ष 2014 में, जमानत याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया गया था और 10 महीने की सजा सुनाई गई थी, लेकिन सजा के उपरोक्त फैसले के खिलाफ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष अपील लंबित है।

    महत्वपूर्ण रूप से, कोर्ट ने कहा,"इसमें कोई संदेह नहीं है, जमानत याचिकाकर्ता ने ऐसा अपराध किया है, जिसका समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लेकिन न्यायालय इस तथ्य को अनदेखा नहीं कर सकता है कि जमानत याचिकाकर्ता एक एडिक्ट बन गया है और उसे पुनर्वास केंद्र में ले जाना आवश्यक है, ताकि उसे मुख्य धारा में लाने के प्रयास किए जाएं।"

    न्यायालय ने यह भी कहा, याचिकाकर्ता द्वारा चलाई जा रही मोटरसाइकिल से कथित रूप से बरामद किया गया पदार्थ मध्यवर्ती मात्रा का है और धारा 37 की कठोरता वर्तमान मामले में आकर्षित नहीं होती है।

    न्यायालय ने भी टिप्पणी की, "इसमें कोई संदेह नहीं, अततीमें एनडीपीएस एक्ट के तहत मामले का पंजीकरण, यदि कोई हो, जमानत के लिए प्रार्थना पर विचार करने के लिए एक प्रासंगिक कारक है, लेकिन इस तरह के मामलों या उसमें सजा का लंबित होना मात्र, जमानत खारिज करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है।"

    कोर्ट का आदेश

    उपरोक्त के मद्देनजर, याचिका की अनुमति दी गई थी और याचिकाकर्ता को एक लाख रुपए के न‌िजी मुचलके पर जमानत दिए जाने का आदेश दिया गया।

    केस टाइटिल- गौरव कुमार बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य [Cr.MP (M)No 2177 of 2020]

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