हाथरस केसः पीड़िता के परिजनों का नार्को टेस्ट कराने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में य‌ाचिका

LiveLaw News Network

3 Oct 2020 8:04 AM GMT

  • हाथरस केसः पीड़िता के परिजनों का नार्को टेस्ट कराने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में य‌ाचिका

    एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने हाथरस गैंगरेप मामले में पीड़िता के परिजनों का नार्को-एनालिसिस टेस्ट कराने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में पत्र याचिका दायर की है।

    गोखले ने कहा है उत्तर प्रदेश सरकार का निर्णय न केवल गैरकानूनी है, बल्‍कि हाईकोर्ट द्वारा रि: सभ्य और गरिमामय अंतिम संस्कार/दाह संस्कार का अधिकार के रूप में पंजीकृत स्वतः संज्ञान मामले में 12 अक्टूबर 2020 को न्यायालय के समक्ष गवाही देने से परिवार को रोकने का प्रयास है।

    या‌चिका में कहा गया है, "पीड़िता के परिवार का नार्को-एनालिसिस टेस्ट के कराना प्राकृतिक न्याय के सभी सिद्धांतों के खिलाफ है क्योंकि वे न तो मामले में अभियुक्त हैं और न ही किसी अपराध का आरोप उन पर लगाया गया है। एक पूछताछ तकनीक का पीड़ित के परिवार पर उपयोग करना जबरदस्ती का कठोर तरीका है।"

    गुरुवार को, हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य के अधिकारियों द्वारा की गई कठोर कार्यवाई के बाद इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया ‌था।

    यह कहते हुए कि "यह अत्यंत संवेदनशील" मामला है, नागरिकों के बुनियादी मानवीय/ मौलिक अधिकारों की बात करते हुए, अदालत ने सभी संबंधित अधिकारियों को, पीड़ित परिवार के साथ, 12 अक्टूबर को घटना पर अपने-अपने पक्ष रखने के लिए बुलाया है।"

    कोर्ट ने कहा है, "हम इस बात की जांच करने के इच्छुक हैं कि क्या मृतक पीड़िता और उसके परिवार के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है या नहीं; क्या राज्य अधिकारियों ने इस तरह के अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए दमनकारी ढंग से और अवैध रूप से काम किया है, यदि ऐसा पाया गया, तो, यह ऐसा मामला होगा जहां न केवल जवाबदेही तय करनी होगी, बल्‍कि भविष्य के मार्गदर्शन के लिए भी कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता होगी।"

    गोखले ने कहा कि हाईकोर्ट में गवाही देने से पहले परिवार का नार्को-एनालिसिस टेस्ट कराना एक चाल है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य प्रशासन ने परिवार का नार्को-एनालिसिस टेस्ट करने का निर्णय देकर माननीय न्यायालय की कार्यवाही में हस्तक्षेप किया है।

    उल्लेखनीय है कि 2 अक्टूबर, 2020 को, यूपी सरकार ने हाथरस में तैनात कुछ पुलिस कर्मियों के निलंबन और स्थानांतरण के लिए एक प्रेस नोट जारी किया। इसके साथ ही, प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि पीड़िता के परिवार का नार्को टेस्ट भी किया जाएगा।

    Next Story