हाशिम अली मर्डर केसः "कट्टर हिंदू एकता" व्हाट्सएप ग्रुप बनाने में याचिकाकर्ता की भूमिका अभी भी जांच के दायरे में, दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत से इनकार किया

LiveLaw News Network

23 May 2021 8:33 AM GMT

  • हाशिम अली मर्डर केसः कट्टर हिंदू एकता व्हाट्सएप ग्रुप बनाने में याचिकाकर्ता की भूमिका अभी भी जांच के दायरे में, दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत से इनकार किया

    Delhi High Court

    यह देखते हुए कि "कट्टर हिंदू एकता" व्हाट्सएप ग्रुप बनाने में याचिकाकर्ता की भूमिका जांच के दायरे में है, दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली दंगों के दौरान हुए हाशिम अली हत्या मामले में पंकज शर्मा को जमानत देने से इनकार कर दिया। शर्मा 10 मार्च, 2020 से न्यायिक हिरासत में है।

    जस्टिस सुरेश कुमार कैत की ‌सिंगल जज बेंच ने कहा, "याचिकाकर्ता की दलील, कि उन मामलों के जैसे ही, मौजूदा मामले में कोई सीसीटीवी फुटेज मौजूदा नहीं है और इसलिए, अपराध में याचिकाकर्ता की संलिप्तता साबित नहीं होती है, स्वीकार नहीं की जा सकती, क्योंकि सीसीटीवी फुटेज के रूप में तकनीकी सबूत नहीं हो सकते हैं, लेकिन याचिकाकर्ता का कॉल डिटेल रिकॉर्ड, घटना के दिन वारदात की जगह पर उसकी मौजूदगी और "कट्टर हिंदू एकता" व्हाट्सएप ग्रुप में उसकी भागीदारी को दिखाती है, यह अभी भी जांच के दायरे में है। इसके अलावा, पीसीआर कॉल रिकॉर्ड, चश्मदीद गवाहों और अन्य गवाहों के बयान, याचिकाकर्ता के प्रति उदार दृष्टिकोण रखने से इस न्यायालय को रोकते हैं।"

    शर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 147, 148, 149, 427, 432, 435, 120बी और 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

    शर्मा के जमानत आवेदन को निचली अदालत ने खारिज़ कर दिया था, जिसके बाद उसने आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि निचली अदालत ने जमानत अर्जी खारिज करते समय रिकॉर्ड पर उपलब्ध भौतिक तथ्यों की अनदेखी की।

    अभियोजन पक्ष का मामला था कि पिछले साल 27 फरवरी को एसएचओ गोकुलपुरी को फोन पर जानकारी मिली कि पुलिया के पास भागीरथी विहार नाला में एक लाश मिली है। मौके पर पहुंचने पर एएसआई को जल बोर्ड पुलिया के दोनों ओर नाले में जली मोटरसाइकिल समेत तीन लाशें पड़ी मिलीं।

    जांच के दौरान, शव की पहचान हाशिम अली के रूप में हुई और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि मौत का कारण सिर और पेट में गंभीर चोट लगने के कारण हुए सदमे से हुई। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चोटें मौत का कारण बनने के लिए पर्याप्त थीं।

    जांच के दौरान मोहित शर्मा, शिवम भारद्वाज और डिंपल राय नाम के तीन लोगों से पूछताछ की गई, जिसमें पता चला कि शर्मा और भारद्वाज 25 फरवरी, 2020 को बनाए गए "कट्टर हिंदू एकता" नाम के व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्य थे।

    लोकेश सोलंकी को बाद में पकड़ा गया, जिसने उन लोगों के नामों का खुलासा किया जो दंगों में सक्रिय रूप से शामिल थे, शर्मा उनमें से एक था। यह भी खुलासा हुआ कि उसने शर्मा समते अन्य सहयोगियों के साथ हाशिम अली और उसके बड़े भाई आमिर खान सहित दूसरे समुदाय के नौ लोगों की हत्या की थी और उनकी पहचान छिपाने के लिए उनके शवों को गंडा नाले में फेंक दिया था और उनके वाहनों को जला दिया था।

    जमानत अर्जी का विरोध करते हुए, एसपीपी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि व्हाट्सएप ग्रुप बनाने में याचिकाकर्ता शर्मा की भूमिका अभी भी जांच के दायरे में है और उस पर लगे आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और अगर जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह चश्मदीद गवाहों को धमकी दे सकता है, जो उसी इलाके में रहते हैं, या यह न्यायिक प्रक्रिया से भाग जाएगा।

    इसे देखते हुए कोर्ट ने आदेश दिया, "मौजूदा मामले में, याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। कथित घटना में 19 साल के एक युवा लड़के ने अपनी जान गंवाई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतक व्यक्ति के शरीर पर 42 गंभीर चोटें पाई गईं, जो उसके लिए घातक साबित हुआ। मामला आरोप निर्धारण के चरण में लंबित है। वर्तमान मामले के अलावा, याचिकाकर्ता आठ अन्य प्राथमिकी मामलों में शामिल किया गया है और अभियोजन द्वारा व्यक्त आशंका कि यदि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह गवाहों को धमका सकता है या प्रभावित कर सकता है, गलत नहीं है। मामले के पूर्वोक्त दृष्टिकोण में, यह न्यायालय इस स्तर पर याचिकाकर्ता को जमानत देने की इच्छुक नहीं है।"

    शीर्षक: पंकज शर्मा बनाम दिल्ली राज्य

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