गूगल ने कन्नड़ भाषा के बारे में अपमानजनक सर्च रिजल्ट के लिए माफ़ी मांगी; कर्नाटक हाईकोर्ट से जनहित याचिका वापस ली गई
LiveLaw News Network
8 Sept 2021 3:11 PM IST
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को Google इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका का निपटारा कर दिया।
प्लेटफॉर्म पर एक सर्च के बाद कन्नड़ को "भारत में सबसे बदसूरत भाषा" के रिजल्ट के रूप में दिखाया गया था।
एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट के एक एक्टिविस्ट ने अदालत का दरवाजा खटखटाकर केंद्र और राज्य सरकार को भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने की मांग की थी।
इसके अलावा, इसने कंपनी को कन्नड़ भाषा की गरिमा और महत्व को कम/धूमिल/बदनाम करने के लिए 10 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की थी।
साथ ही सुझाव दिया था कि मुआवजे की राशि को संस्कृति और विरासत विभाग, कर्नाटक सरकार के पास जमा किया जा सकता है।
कानूनी अटॉर्नी और बैरिस्टर लॉ फर्म के माध्यम से दायर याचिका ने अदालत के ध्यान में लाया कि बाद में Google इंडिया ने इस मामले में माफी मांगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा:
"याचिका गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ-साथ अन्य प्रतिवादियों के खिलाफ दायर की गई है। इसमें कहा गया कि गूगल पर कन्नड़ भाषा के संबंध में कुछ अपमानजनक टिप्पणी की गई है। याचिकाकर्ता ने खुद अखबार की क्लिपिंग की कॉपी दायर की है। याचिकाकर्ता का तर्क कि बाद में गूगल इंडिया ने वेबसाइट पर प्रदर्शित सामग्री के संदर्भ में इस मामले में माफी मांगी है, यह आश्वासन देते हुए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी।"
कोर्ट ने आगे जोड़ा,
"इस स्तर पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील कानून में उपलब्ध अन्य उपायों का सहारा लेने की स्वतंत्रता के साथ याचिका को वापस लेने की प्रार्थना करते हैं। जनहित याचिका को उपरोक्त शर्तों में निपटाया जाता है।"
ट्विटर पर जारी अपने बयान में गूगल ने कहा कि सर्च फैसिलिटी हमेशा सही नहीं होती। इसलिए कभी-कभी "इंटरनेट पर जिस तरह से सामग्री का वर्णन किया जाता है, वह विशिष्ट प्रश्नों के आश्चर्यजनक परिणाम दे सकता है।"
बयान में कहा गया,
"हम जानते हैं कि यह आदर्श नहीं है, लेकिन जब हम किसी मुद्दे से अवगत होते हैं और अपने एल्गोरिदम को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहे होते हैं, तो हम तेजी से सुधारात्मक कार्रवाई करते हैं। मगर स्वाभाविक रूप से यह गूगल की राय को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। फिर भी हम गलतफहमी और किसी भी भावनाओं को आहत करने के लिए क्षमा चाहते हैं।"
केस टाइटल: एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट एंड यूनियन ऑफ इंडिया
केस नंबर: डब्ल्यूपी 9994/2021।