गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक्सीडेंट में घायल होने के कारण 13 साल के अंतराल के बाद एमबीबीएस कोर्स फिर से शुरू करने की मांग वाली याचिका खारिज की

Shahadat

26 Jun 2023 11:32 AM IST

  • गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक्सीडेंट में घायल होने के कारण 13 साल के अंतराल के बाद एमबीबीएस कोर्स फिर से शुरू करने की मांग वाली याचिका खारिज की

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में उस व्यक्ति द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जिसने 2009-2010 में गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लिया था, लेकिन अपनी लंबी बीमारी के कारण क्लासेस में भाग नहीं ले सका और परीक्षा में शामिल नहीं हो सका। याचिकाकर्ता 13 साल से अधिक के अंतराल के बाद अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करना चाहता है।

    जस्टिस लानुसुंगकुम जमीर ने कहा कि अदालत याचिकाकर्ता को अगले या तत्काल सेमेस्टर के लिए एमबीबीएस कोर्स के फर्स्ट ईयर में एडमिशन की अनुमति नहीं दे सकती। अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता किसी परीक्षा में शामिल नहीं हुआ, इसलिए गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के पास उसके रजिस्ट्रेशन के संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    "देखने में आया कि याचिकाकर्ता को सत्र 2009-2010 के लिए एमबीबीएस फर्स्ट ईयर कोर्स में एडमिशन लेने के लगभग 13 साल हो गए हैं। याचिकाकर्ता को सत्र 2023-2024 के लिए अगले सेमेस्टर में एडमिशन की अनुमति देना वंचित करने जैसा होगा, जिन अभ्यर्थियों का इसके लिए पहले ही चयन हो चुका है।'

    याचिकाकर्ता को सत्र 2009-2010 के लिए गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स के फर्स्ट ईयर में एडमिशन दिया गया और उसने अपने एडमिशन के संबंध में सभी आवश्यक फीस का भुगतान किया। उसने कहा कि उसके साथ दुर्घटना हुई थी और उसे वाहन से चोट लगी थी। उसके बाद वह मनोदैहिक विकारों और तपेदिक से पीड़ित था, जिसके कारण वह नियमित रूप से अपनी क्लासेस में उपस्थित नहीं हो सका।

    आगे कहा गया कि अपनी बीमारियों से उबरने के बाद उसने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करने की अनुमति के लिए गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के माध्यम से गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के अकादमिक रजिस्ट्रार के समक्ष 11 फरवरी, 2020 को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया।

    हालांकि, अभ्यावेदन को अकादमिक रजिस्ट्रार, गुवाहाटी यूनिवर्सिटी द्वारा 03 मार्च, 2020 के पत्र द्वारा खारिज कर दिया गया, जिसमें कहा गया कि 2009-2010 में एमबीबीएस कोर्स में याचिकाकर्ता के एडमिशन के बाद गुवाहाटी यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया और इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।

    इस प्रकार, गुवाहाटी यूनिवर्सिटी ने कोर्स में उसके एडमिशन के बारे में कहा,

    यूनिवर्सिटी उसे एमबीबीएस कोर्स, 2009-2010 में अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करने की अनुमति नहीं दे सकती।

    इसलिए याचिकाकर्ता ने वर्तमान रिट याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि 2010 से 2019 तक हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की श्रृंखला याचिकाकर्ता के नियंत्रण से परे थी और प्रतिवादी उसे तकनीकी आधार पर अपना एमबीबीएस कोर्स पूरा करने से वंचित नहीं कर सकते। यदि उसे अपना एमबीबीएस कोर्स पूरा करने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उसके प्रति जबरदस्त पूर्वाग्रह पैदा हो जाएगा, क्योंकि उसके पास फिर से मेडिकल एग्जाम में बैठने के लिए अपेक्षित उम्र नहीं है।

    नेशनल मेडिकल कमिशन की ओर से पेश वकील ने अदालत को अवगत कराया कि ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन, 1997 (संशोधित) के तहत शिक्षार्थी के लिए, जो वर्ष 2019-2020 शैक्षणिक सत्र से पहले एमबीबीएस कोर्स में शामिल हो गया, उसे उक्त कोर्स पूरा करने में कोई रोक नहीं है। हालांकि, उस स्टूडेंट के लिए जिसने 2019-2020 शैक्षणिक सत्र के बाद दाखिला लिया है, एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के लिए 10 साल की सीमा है।

    इसलिए यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता के संबंध में याचिकाकर्ता के लिए अपना एमबीबीएस कोर्स पूरा करने की कोई बाहरी सीमा नहीं है, बशर्ते कि उसने 2019 से पहले दाखिला लिया हो और अपनी पढ़ाई शुरू कर दी हो।

    हालांकि, असम स्वास्थ्य विभाग की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को उसके पहले चयन को देखते हुए एमबीबीएस कोर्स फिर से शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

    यह तर्क दिया गया,

    "यदि याचिकाकर्ता को अगले/तत्काल सेमेस्टर में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर में एडमिशन दिया जाता है तो वह कुछ योग्य उम्मीदवारों को एडमिशन पाने से वंचित कर देगा। इसलिए याचिकाकर्ता को एडमिशन नहीं दिया जा सकता।"

    केस टाइटल: शेख नेकिबुद्दीन अहमद बनाम प्रधान सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, असम सरकार और 6 अन्य।

    कोरम: जस्टिस लानुसुंगकुम जमीर

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