गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, उत्तराधिकार अधिनियम के अनुरूप 'नाजायज बेटों' सहित वारिसों के बीच मृतक कर्मचारी की ग्रेच्युटी के वितरण का आदेश दिया

Avanish Pathak

1 Sep 2022 12:35 AM GMT

  • गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट 

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के एक मृत कर्मचारी के कानूनी वारिसों, जिसमें नाजायज बच्चे भी शामिल थे, के बीच ग्रेच्युटी राशि के वितरण के संबंध में फैसला सुनाया।

    जस्टिस मनीष चौधरी की सिंगल जज बेंच ने नियोक्ता को दावे का निस्तारण ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा 4, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 16 और धारा 8, धारा 9 और धारा 10 सहपठित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 3 [1] [एफ] के प्रावधानों के अनुसार करने को निर्देश दिया।

    बेंच ने कहा, प्रावधान जब संयोजन के रूप में पढ़ा जाता है तो 'कानूनी वारिस' की परिभाषा के अंतर्गत "नाजायज पुत्र" शामिल होते हैं। दोनों पक्षों के यह स्वीकार किया।

    ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम की धारा 4(1) उन शर्तों को प्रदान करती है जब किसी कर्मचारी की ग्रेच्युटी देय हो जाती है। इस प्रावधान के दूसरे प्रोविसो में कहा गया है कि कर्मचारी की मृत्यु के मामले में, उसे देय ग्रेच्युटी का भुगतान उसके नामिती/उत्तराधिकारियों, जैसा भी मामला हो, को किया जाएगा। हालांकि, अधिनियम के तहत 'वारिस' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।

    प्रतिवादी, जो मृतक की पहली पत्नी और वैध संतान थे, उन्होंने याचिकाकर्ताओं, मृतक के नाजायज पुत्रों के दावे का समर्थन किया था। उन्होंने प्रस्तुत किया कि हालांकि याचिकाकर्ता स्वर्गीय कैरांग सिंह के नाजायज पुत्र हैं, जिनका जन्म श्रीमती राधा रानी सिन्हा के साथ एक शून्य विवाह से हुआ है, वे पूर्वोक्त प्रावधानों के अनुसार शेयरों के हकदार होंगे।

    इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने आदेश दिया,

    "यह रिट याचिका उत्तराधिकारियों के बीच स्वर्गीय कैरंग सिंह द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के संबंध में ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा 4 [1] के तहत देय ग्रेच्युटी राशि को संसाधित करने और वितरित करने के लिए प्रतिवादी एपीडीसीएल अधिकारियों को एक निर्देश के साथ निस्तारित की जाती है...पूरी प्रक्रिया इस आदेश की प्रमाणित प्रति जमा करने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर की जाएगी।

    केस टाइटल: अनिल सिंह और अन्य बनाम असम राज्य और 4 अन्य।

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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