"और कारावास अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा": पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 2.5 साल से अधिक समय से जेल में बंद एनडीपीएस अभियुक्त को जमानत दी

Shahadat

25 Nov 2022 10:39 AM GMT

  • और कारावास अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 2.5 साल से अधिक समय से जेल में बंद एनडीपीएस अभियुक्त को जमानत दी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को एनडीपीएस एक्ट (NDPS Act) के तहत कथित तौर पर 2 किलो हेरोइन रखने के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को ढाई साल से अधिक की हिरासत अवधि के मद्देनजर जमानत दे दी। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि उसकी आगे की कैद संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगी।

    जस्टिस विकास बहल की पीठ ने अभियुक्त संदीप सिंह को जमानत देते हुए कहा कि वह 1 मई, 2020 (2 वर्ष 6 महीने से अधिक) से हिरासत में है और जांच पूरी हो चुकी है। चालान पेश किया गया है। हालांकि, ट्रायल के निष्कर्ष में समय लगने की संभावना है।

    इस संबंध में अदालत ने भूपेंद्र सिंह बनाम नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो और अन्य संबंधित मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें हाईकोर्ट ने पाया कि यदि कोई अभियुक्त हिरासत अवधि के मद्देनजर भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के मापदंडों के भीतर मामला बनाने में सक्षम है तो उसे एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 37 की कठोरता के बावजूद भी नियमित जमानत दी जा सकती है।

    आरोपी पर एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 21, 25, और 29 और भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 34, 307, 427 और धारा 270 के तहत मामला दर्ज किया गया और 1 मई, 2020 को गिरफ्तार किया गया। उसके पास से ढाई किलो हेरोइन बरामद हुई थी।

    उसने यह तर्क देते हुए अदालत के समक्ष वर्तमान जमानत याचिका दायर की कि वह 2.5 साल से हिरासत में हैं और मुकदमे के निष्कर्ष में समय लगने की संभावना है।

    अभियुक्त के वकील की दलीलें सुनने और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने शुरुआत में मोहम्मद सलमान हनीफ शेख बनाम गुजरात राज्य के मामले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि एनडीपीएस एक्ट के आरोपी को केवल इस आधार पर जमानत दी जा सकती है कि उसने लगभग दो साल हिरासत में बिताए हैं और मुकदमे के निष्कर्ष में कुछ समय लगेगा।

    अदालत ने चित्त विश्वास उर्फ ​​सुभाष बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और नीतीश अधिकारी @ बापन बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी भरोसा किया, जिसमें एनडीपीएस एक्ट के तहत अभियुक्तों को दो साल की कस्टडी के करीब मानते हुए जमानत दी गई थी

    इस पृष्ठभूमि के खिलाफ अभियुक्त की हिरासत अवधि और अनुच्छेद 21 के शासनादेश को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने निचली अदालत/ड्यूटी मजिस्ट्रेट की संतुष्टि के लिए याचिकाकर्ता को जमानत बांड प्रस्तुत करने पर नियमित जमानत की रियायत दी।

    केस टाइटल- संदीप सिंह @ सोनू बनाम पंजाब राज्य [CRM-M-34488-2022 (O&M)]

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