फेसबुक पर किया था पोस्ट-नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन में जारी नंबर पर कॉल करने से हैक हो जाएगा फोन का डाटा, त्रिपुरा हाईकोर्ट ने रद्द की एफआईआर

LiveLaw News Network

31 March 2021 6:32 AM GMT

  • फेसबुक पर किया था पोस्ट-नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन में जारी नंबर पर कॉल करने से हैक हो जाएगा फोन का डाटा, त्रिपुरा हाईकोर्ट ने रद्द की एफआईआर

    त्रिपुरा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आदमी के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 153 बी और 505 के तहत दायर एक एफआईआर को खारिज कर दिया, जिसने कथित रूप से फेसबुक पर एक पोस्ट किया था कि अगर किसी विशेष मोबाइल नंबर पर कॉल किया जाता है तो फोन करने वाले का डेटा हैक कर लिया जाएगा।

    जबकि दिया गया मोबाइल नंबर का बीजेपी सदस्यों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) के पक्ष में नागरिकों का समर्थन जुटाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। नागरिकों का उक्त नंबर पर मिस्ड कॉल देने के लिए कहा गया था।

    चीफ जस्टिस अकिल कुरैशी की खंडपीठ अरिंदम भट्टाचार्जी के आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिन पर धार्मिक समूहों के बीच विभाजन को बढ़ावा देने और गलत सूचना का माहौल बनाने का आरोप था, जो एक सार्वजनिक उपद्रव था और उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट करके अफवाहों को हवा दी थी।

    जैसा कि कहा गया था कि याचिकाकर्ता ने एक फेसबुक पर एक टिप्पणी की थी, जिसमें कहा गया था कि यदि कोई भी दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करता है, तो मोबाइल फोन में सेव किए गए कॉलर का डेटा हैक कर लिया जाएगा।

    कोर्ट का अवलोकन

    शुरुआत में, अदालत ने कहा कि आरोप का आधार नहीं है .....आईपीसी की धारा 120 बी को गलत तरीके से लागू किया गया है।

    धारा 153 बी पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप थे कि उसने जन प्रतिनिधियों के बारे में गलत धारणा फैलाई।

    कोर्ट ने कहा,

    -कोई आरोप नहीं है, उन्होंने दावा किया था कि किसी भी वर्ग का व्यक्ति किसी भी धार्मिक, नस्लीय, भाषा या क्षेत्रीय समूह या जाति या समुदाय के सदस्यों से संबंधित होने के कारण संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा नहीं रख सकता है, और देश की संप्रभुता को बरकरार रख सकता है।

    -ऐसा कोई आरोप नहीं कि उन्होंने किसी विशेष धार्मिक, नस्लीय, भाषा या क्षेत्रीय समूह या जाति के सदस्य होने के कारण देश के नागरिक के रूप में किसी भी वर्ग को उनके अधिकारों से वंचित किया, परामर्श या सलाह ‌दिया या प्रचारित किया या प्रकाशित किया।

    -किसी भी धार्मिक, नस्लीय, भाषा या क्षेत्रीय समूह के सदस्य होने के कारण किसी भी वर्ग के दायित्व के संबंध में उन्होंने कोई भी दावा या दलील दी या प्रकाशित किया।

    अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ता की की कथित कार्रवाई, धारा 153 बी की उपधारा (1) की धारा (ए) से (सी) के तहत नहीं आती है।"

    आईपीसी की धारा 505 के संबंध में अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ता के पोस्ट की सामग्री झूठी हो सकती है, हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि उसे उकसाने के इरादे से पोस्ट किया गया था या किसी भी वर्ग या व्यक्तियों के समुदाय को किसी अन्य वर्ग के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसाने की संभावना है।"

    कोर्ट ने इसे 'विडंबना' कहा कि याचिकाकर्ता ने सोशल मीडिया पर एक भ्रामक पोस्ट डालने के लिए अमलान मुखर्जी के खिलाफ इसी तरह की शिकायत की थी... तब पुलिस अधिकारियों ने धारा 120 बी, 153 ए या आईपीसी की धारा 505 के किसी भी प्रावधान के तहत शिकायत दर्ज करना उचित नहीं समझा था।

    केस टाइटिल- अरिंदम भट्टाचार्जी बनाम त्रिपुरा राज्य [Crl.Petn No.03 / 2020]

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