भले ही ड्राइवर नशे में हो, बीमाकर्ता तीसरे पक्ष को भुगतान के लिए उत्तरदायी: केरल हाईकोर्ट

Avanish Pathak

1 Feb 2023 1:35 PM GMT

  • भले ही ड्राइवर नशे में हो, बीमाकर्ता तीसरे पक्ष को भुगतान के लिए उत्तरदायी: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि बीमा कंपनी मोटर दुर्घटना पीड़ित को आरंभ में मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी होगी, भले ही चालक ने नशे की हालत में वाहन चलाकर पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया हो।

    जस्टिस मैरी जोसेफ की सिंगल जज बेंच ने कहा,

    "निस्संदेह, जब चालक नशे की हालत में होता है तो उसकी चेतना और इंद्रियां क्षीण हो जाती हैं, जिससे वह ड्राइविंग करने के लिए अयोग्य हो जाता है। हालांकि पॉलिसी के तहत देयता प्रकृति में वैधानिक है और इसलिए कंपनी को पीड़ित को मुआवजे देने से छूट नहीं दी जाएगी।"

    कोर्ट ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ‌उप प्रबंधक (कानूनी) की ओर से प्रतिनिधित्व बनाम मंजू देवी और अन्य (2014) मामले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें यह कहा गया था कि ड्राइवर ने शराब पीकर गाड़ी चलाई हो तो भी बीमा कंपनी अपनी देनदारी से पूरी तरह से नहीं बच सकती है, क्योंकि जहां तक तीसरे पक्ष का संबंध है, यह बीमा कंपनी मुआवजे के भुगतान से मुक्त करने का आधार नहीं है।

    इस प्रकार यह माना गया कि वर्तमान मामले में बीमा कंपनी को आरंभी में अपीलकर्ता/दावेदार को मुआवजा देना होगा, बाद में वह इसे वाहन मालिक और चालक से वसूल कर सकती है। मौजूदा मामले में यह दोनों पहले दो प्रतिवादी हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    "जहां तक तीसरे पक्ष का संबंध है, मुआवजे के भुगतान के दायित्व के संबंध में बीमा पॉलिसी प्रवर्तनीय है, क्योंकि यह माना जाएगा कि उसे चालक के नशे की स्थिति के बारे में पता नहीं है।इसलिए, पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन बीमा कंपनी को तीसरे पक्ष को मुआवजे का भुगतान करने से छूट नहीं प्रदान करता।

    मामले में Ext.B2 और B3 स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि पहला प्रतिवादी नशे की हालत में कार चला रहा था और उसे नशे में गाड़ी चलाने के लिए चार्जशीट किया गया था। दूसरे प्रतिवादी कार मालिक ने पहले प्रतिवादी चालक को नशे की हालत में कार चलाने की अनुमति दी और इसलिए, वह भी इस कृत्य के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी है। इसलिए अंततः उत्तरदायित्व एक और दो का है, हालांकि तीसरे प्रतिवादी-बीमा कंपनी को शुरू में भुगतान करना होगा।"

    मामला

    मामले में पेशे से ऑटो ड्राइवर अपीलकर्ता का एक कार से एक्स‌िडेंट हो गया, जिसे पहला प्रतिवादी तेजी से और लापरवाही से चला रहा था। अपीलकर्ता को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सात दिनों तक उसका इलाज चला। डिस्चार्ज होने के बाद भी उन्हें छह महीने तक आराम करना पड़ा। जिसके बाद उसने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण से 4,00,000 के मुआवजे का दावा किया।

    ट्रिब्यूनल ने केवल 2,40,000/- रुपये का मुआवजा दिया। उसकी कल्पित आय 7,500/- रुपये निर्धारित की गई औ केवल छ: माह के लिए अर्जन हानि का आकलन किया गया। अपीलकर्ता ने दावा किया कि उसने 12,000 रुपये की मासिक आय अर्जित की और इसी संदर्भ में अपील को प्राथमिकता दी गई।

    न्यायालय ने कहा कि अपीलकर्ता ने न्यायाधिकरण के समक्ष कोई विकलांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया था।

    कोर्ट ने कहा,

    "अगर दुर्घटना में उसे लगी चोटों के कारण वास्तव में कोई विकलांगता हुई होती तो निश्चित रूप से उसने विकलांगता प्रमाण पत्र पेश किया होता। फिर भी, ट्रिब्यूनल ने स्थायी विकलांगता/सुविधाओं के नुकसान के लिए 40,000 रुपये प्रदान किया है, बिना यह पता लगाए कि क्या कोई विकलांगता या सुविधाओं का नुकसान हुआ है।"

    हालांकि, न्यायालय ने यह विचार किया कि चूंकि अपीलकर्ता सात दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती था और 1,14,596 रुपये इलाज में खर्च हुए थे, यह निश्‍चित करेगा कि उसे गंभीर चोटें लगी थीं, जिसके लिए व्यापक उपचार की आवश्यकता थी।

    कोर्ट ने कहा, "इसलिए दर्द और पीड़ा के लिए, यह न्यायालय 20,000/- रुपये अधिक का अवॉर्ड देने का इच्छुक है।"

    न्यायालय ने अतिरिक्त रूप से 500/- रुपये प्रति दिन की दर से 20 दिनों के लिए बाईस्टैंडर एक्सपेंडिचर के मद में 10,000/- रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया।

    इसने विचार किया कि चूंकि अन्य मदों के तहत मुआवजा उचित प्रतीत होता है, इसलिए किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं थी।

    कोर्ट ने बीमा कंपनी को कहा, "परिणामस्वरूप, अपीलकर्ता 39,000/- रुपये (9000 + 20000+ 10000) का बढ़ा हुआ मुआवजा पाने का हकदार है।"

    कोर्ट ने स्पष्‍ट किया कि तीसरा प्रतिवादी, प्रतिवादी एक और दो की संपत्ति से जमा की गई राशि की वसूली कर सकता है।"

    केस टाइटल: मोहम्मद राशिद @ राशिद बनाम गिरिवासन ईके और अन्य।

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (केरल) 52


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