दहेज का मामला : वैवाहिक घर महिलाओं के रहने के लिए सबसे खतरनाक जगह बन गए हैंः केरल हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

18 July 2021 4:15 AM GMT

  • दहेज का मामला : वैवाहिक घर महिलाओं के रहने के लिए सबसे खतरनाक जगह बन गए हैंः केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को एक डॉक्टर और उसके परिवार को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने दहेज के लिए शिकायतकर्ता/डाॅक्टर की पत्नी और उसके बुजुर्ग पिता को प्रताड़ित किया है।

    न्यायमूर्ति वी शिरसी ने गिरफ्तारी से पहले की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता ने अपनी दलीलों को साबित करने के लिए मेडिकल रिकॉर्ड पेश किया है। इस प्रकार यह देखा गया है कि दहेज उत्पीड़न के बढ़ते मामलों के कारण वैवाहिक घर महिलाओं के रहने के लिए सबसे खतरनाक जगह बन गए हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसे गलत काम करने वालों को अग्रिम जमानत दे दी जाती है, तो समाज में एक गलत संदेश जाएगा क्योंकि यह देखा गया है कि पूरे देश से इस तरह के मामले सामने आने के बावजूद समाज का रवैया अप्रभावित रहा है।

    इस मामले में आवेदक शिकायतकर्ता का पति, ससुर, सास और देवर थे। इन सभी पर शिकायतकर्ता से पैसे की मांग करते हुए उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है।

    शादी के बाद शिकायतकर्ता के माता-पिता ने उसे सोने के गहने, एक कार, पैसा और जमीन-जायदाद उपहार में दी थी। हालांकि, उसके ससुराल में रहने के दौरान उसकी सास सहित अन्य आवेदकों ने उसके साथ कथित तौर पर मारपीट की। जब यातना असहनीय हो गई तो उसने अपने माता-पिता से संपर्क किया।

    आरोप लगाया गया कि जब उसके पिता और भाई उसे वापस लेने के लिए आए तो आवेदकों ने उन्हें भी बेरहमी से पीटा, जिससे उन्हें फ्रैक्चर सहित गंभीर चोटें आईं। यह भी दावा किया गया कि जब शिकायतकर्ता ने उन्हें बचाने के लिए हस्तक्षेप किया तो उस पर भी हमला किया गया और इस कारण उसे भी चोट आई और फ्रैक्चर हो गया। शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता थॉमस जे अनक्कलुन्नकल और मारिया पॉल पेश हुए।

    अधिवक्ता के सनेश कुमार ने तर्क दिया कि आवेदक-पति एक डॉक्टर है ,जो इसी साल मई में सरकारी सेवा में शामिल हुआ है और उसने अभियोजन पक्ष के आरोप के अनुसार अपराध नहीं किया है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि उसके माता-पिता और उसका भाई भी पूरी तरह से निर्दोष हैं और उन्हें झूठा फंसाया गया है क्योंकि शिकायतकर्ता अपने और अपने पति के लिए एक अलग घर बनाना चाहती थी।

    लोक अभियोजक साथ ही शिकायतकर्ता ने अग्रिम जमानत आवेदनों का जोरदार विरोध किया। लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता और उसके परिवार को आवेदकों के कारण गंभीर चोटें आई थी और उसके पिता का अभी तक भी इलाज चल रहा था। इसके अतिरिक्त, यह भी प्रस्तुत किया गया कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और यदि आवेदकों को जमानत दी जाती है, तो इससे जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

    कोर्ट ने पेश किए गए घाव प्रमाण पत्र और दोनों पक्षों द्वारा दिए गए तर्कों पर विचार करने के बाद कहा कि,

    ''हमारे देश में विवाहित महिलाओं के प्रति मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और यातनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं ताकि लड़की या दुल्हन पर दबाव बनाया जा सके और दूल्हे के परिवार को अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए अधिक धन मिल सके। हालांकि इतने सारे मामले पति और ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज किए जा रहे हैं,परंतु विवाहित महिलाओं और उनके परिवार के सदस्यों के प्रति समाज के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है।

    उन पर हमला बेशक विभिन्न कारणों से किया जाता है ,परंतु यह सब उनके लिए उनके वैवाहिक घरों को रहने के लिए सबसे खतरनाक जगह बना रहा है। वहीं हमारे यहां कड़े कानून होने के बाद भी देश में दर्ज किए जा रहे मामलों की संख्या चिंताजनक है। इसे हमेशा के लिए रोकना होगा।''

    तदनुसार, आवेदकों के अग्रिम जमानत के आवेदनों को अस्वीकार कर दिया गया और मामला खारिज कर दिया गया।

    केस का शीर्षकः डाॅक्टर सिजो राजन आरवी व अन्य बनाम केरल राज्य व अन्य

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