Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

दहेज के लिए मौत| साक्ष्य अधिनियम की धारा 113 बी के तहत अनुमान अनिवार्य: केरल हाईकोर्ट ने आत्महत्या के रूप में बंद किए गए मामले को फिर से खोला

Avanish Pathak
6 Aug 2022 10:24 AM GMT
केरल हाईकोर्ट
x

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दहेज हत्या के एक मामले को फिर से खोलने का निर्देश दिया। जांच के प्रभारी पुलिस उप निरीक्षक ने इसे आत्महत्या के मामले के रूप में बंद कर दिया था।

जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113 बी (दहेज मृत्यु के रूप में अनुमान) के अनुसार यदि यह देखा जाता है कि एक महिला को उसकी मृत्यु से ठीक पहले दहेज के लिए क्रूरता या उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था तो अनिवार्य अनुमान यह है कि ऐसा व्यक्ति दहेज हत्या का कारण बना है।

जज ने कहा कि एसआई अपनी अंतिम रिपोर्ट में अनिवार्य अनुमान और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों पर ध्यान देने में विफल रहे।

"उक्त प्रावधान के तहत अनुमान अन‌िवार्य प्रकृति का है। यह कहता है कि जब सवाल यह है कि क्या किसी व्यक्ति ने एक महिला की दहेज हत्या की है और यह दिखाया गया है कि उसकी मृत्यु से पहले ऐसी महिला को ऐसे व्यक्ति द्वारा दहेज के लिए क्रूरता दी गई थी, अदालत यह मान लेगी कि ऐसा व्यक्ति दहेज मृत्यु का कारण बना है।"

मौजूदा मामले में याचिका एक युवती की मां ने दायर की थी। युवती शादी के तीन साल के भीतर 2021 में अपने पति के आवास पर फांसी लगाकर मृत पाई गई। मृतक की बहन के बयान के आधार पर कट्टक्कड़ा थाना पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 के तहत अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज कर लिया।

मामले की जांच के दौरान याचिकाकर्ता ने एसआई पर निष्पक्ष जांच नहीं करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा कि मृतका के पति ने अधिक दहेज की मांग को लेकर मृतका को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से प्रताड़ित किया था और उक्त लगातार प्रताड़ना के कारण ही मृतका ने आत्महत्या की। संक्षेप में उनका मामला यह है कि यह दहेज हत्या का स्पष्ट मामला है।

इस बीच, एसआई ने जांच की और पाया कि मृतक ने अवसाद के कारण आत्महत्या की और उसकी मौत के लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं था। इस आशय की एक अंतिम रिपोर्ट 18/7/2022 को दायर की गई थी।

याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट आकाश एस ने पेश किया कि जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि मृतक के पति ने अधिक दहेज के लिए उसकी मृत्यु से कुछ समय पहले क्रूरता की थी और उक्त उत्पीड़न और क्रूरता के कारण मृतक ने आत्महत्या कर ली। इसलिए, उन्होंने आग्रह किया कि यह एक उपयुक्त मामला है जहां पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 बी (दहेज के लिए मौत) के तहत अपराध का आरोप लगाया जाना चाहिए था।

उन्होंने आगे कहा कि एसआई ने कोई जांच नहीं की और जांच केवल असली अपराधी की मदद के लिए की गई। लोक अभियोजक पीजी मनु ने अदालत के समक्ष अंतिम रिपोर्ट सहित पूरी केस डायरी पेश की। जस्टिस एडप्पागथ ने पाया कि एफआईएस मृतक की बहन ने दिया था। पुलिस ने जांच के दौरान मृतक के माता-पिता और मृतक की एक अन्य बहन के बयान दर्ज किए।

इसके अलावा वास्तविक शिकायतकर्ता के एफआई स्टेटमेंट में और माता-पिता और बहन के बयानों में स्पष्ट आरोप थे कि पति ने मृतक के सा‌थ मृत्यु से तुरंत पहले दहेज के लिए क्रूरता और उत्पीड़न किया था। यह भी पाया गया कि कुछ पड़ोसियों ने इसके समर्थन में बयान दिए।

मामले में एसएचओ द्वारा एक विस्तृत बयान दिया गया, जहां यह कहा गया था कि मृतक के करीबी रिश्तेदार ही एकमात्र गवाह थे, जिन्होंने बताया कि मौत का कारण उसके पति द्वारा दहेज के लिए किया गया उत्पीड़न था।

इस मोड़ पर, एकल न्यायाधीश ने याद किया कि दहेज की मांग के लिए कोई स्वतंत्र गवाहों की उम्मीद नहीं कर सकता क्योंकि यह वैवाहिक घर की गोपनीयता के भीतर होता है। इसके अलावा, जांच रिपोर्ट ने यह भी संकेत दिया था कि मृतक के शरीर के विभिन्न हिस्सों में गर्दन पर बांधने के साथ अन्य चोटों के निशान थे। जज ने पाया कि एसआई द्वारा इस पहलू की भी अनदेखी की गई थी।

इस प्रकार, पति के खिलाफ मामले में आगे की कार्यवाही को रद्द करने वाली अंतिम रिपोर्ट को टिकाऊ नहीं पाया गया और तदनुसार, इसे रद्द कर दिया गया।

उपाधीक्षक कट्टकड़ा को जांच को फिर से शुरू करने और इसे सर्कल इंस्पेक्टर रैंक के किसी अन्य अधिकारी को सौंपने और इन निष्कर्षों के आलोक में उचित जांच करने और उसके बाद अंतिम रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। डीईएसपी को भी जांच की निगरानी करने को कहा गया है।

केस टाटइल: बेबी एस बनाम केरल राज्य

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (केरल) 414

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Next Story