दरगाह को कथित तौर पर मंदिर में बदलने के खिलाफ जनहित याचिका में गुजरात हाईकोर्ट ने कहा, 'यहां मुस्लिम-हिंदू को मत लाओ, यह एक जनहित याचिका है'
Avanish Pathak
31 Aug 2023 9:48 PM IST
अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 600 साल पुरानी पीर इमाम शाह बावा दरगाह को कथित रूप से हिंदू धार्मिक स्थल में परिवर्तित करने के खिलाफ एक मुस्लिम संगठन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को याचिकाकर्ता के वकील को फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने उनसे 'अदालत में हिंदू-मुसलमान को न लाने' के लिए कहा।
सुनवाई के दौरान, जब याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को सूचित किया कि वह एक ऐसे ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो मुस्लिम समुदाय के हितों का समर्थन करता है, तो चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने कहा, "आप एक समुदाय के मुद्दे का समर्थन नहीं कर रहे हैं। मुस्लिम-हिंदू को यहां मत लाएं। आप एक संपत्ति की पहचान के संबंध में विवाद खड़ा कर रहे हैं। इसलिए, किसी भी समुदाय को यहां न लाएं। कृपया ऐसा न करें।"
दरअसल, पूजा स्थल (पीर इमाम शाह बावा की दरगाह) के कथित अवैध रूपांतरण के खिलाफ एक ट्रस्ट (सुन्नी अवामी फोरम) ने जनहित याचिका दायर की है। अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन कर दरगाह और आसपास के मुस्लिम धार्मिक स्थलों को हिंदू धार्मिक स्थलों में परिवर्तित किया जा रहा है।
पिछले साल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, अहमदाबाद कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, मामलातदार, पुलिस अधीक्षक, संबंधित पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक और इमामशाह बावा रोजा ट्रस्ट को नोटिस जारी किया था।
अब मंगलवार को जब मामला चीफ जस्टिस और जस्टिस अनिरुद्ध पी मायी की बेंच के सामने आया तो वकील से सवाल किया गया कि ये ट्रस्ट है या वक्फ, तो उन्होंने माना कि ये वक्फ है, हालांकि उन्होंने कहा कि वह स्पष्ट नहीं थे और स्पष्टीकरण के लिए समय मांगा।
इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का पता नहीं है और यह एक जनहित याचिका है। पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि यदि मामला वक्फ की संपत्ति के दुरुपयोग का है तो वक्फ न्यायाधिकरण इस मुद्दे पर फैसला कर सकता है।
इसके अलावा, न्यायालय ने एक अन्य गैर सरकारी संगठन, भारत मुक्ति मोर्चा की ओर से दायर एक आवेदन को भी खारिज कर दिया, जिसमें जनहित याचिका में पक्षकार बनने की मांग की गई थी क्योंकि न्यायालय ने कहा था कि यह एक आवश्यक या उचित पक्ष नहीं था। इसके साथ ही मुख्य मामले को आगे की सुनवाई के लिए 2 सितंबर को रखा गया है।