'बार के सदस्यों की सहायता और पुनर्वास के लिए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के खाते में दान दें' : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कई मामलों में जमानत देते समय रखी शर्त
SPARSH UPADHYAY
3 Sept 2020 10:30 AM IST
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने सोमवार (31-अगस्त-2020) को 5 से अधिक जमानत आवेदन (धारा 438/439 सीआरपीसी के तहत दायर आवेदन) को स्वीकारते हुए आरोपियों/जमानत आवेदनकर्ताओं को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वे बार (Bar) के उन सदस्यों की सहायता और पुनर्वास के लिए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, ग्वालियर के खाते में अदालत द्वारा निश्चित की गयी राशि स्वेच्छा से दान करेंगे, जो सदस्य COVID -19 महामारी के कारण और अदालतों के लॉकडाउन और प्रतिबंधात्मक कामकाज के चलते वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ ने इन तमाम मामलों में जमानत आवेदन को स्वीकारते हुए यह शर्त लगायी और यह रेखांकित किया कि इस न्यायालय को कोई संदेह नहीं है कि पदाधिकारी और बार के वरिष्ठ सदस्य यह सुनिश्चित करेंगे कि दान सही और योग्य दावेदारों तक पहुंचे।
यही नहीं, अदालत ने आदेशों में साथ ही यह भी शर्त जोड़ी कि याचिकाकर्ता शिक्षा स्वयंसेवक के रूप में अपने निवास के निकट स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय को शारीरिक और वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे।
इन मामलों में अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि याचिकाकर्ताओं का लंबे समय तक 'ट्रायल के पूर्व निरोध' (pre-trial detention), स्वतंत्रता की अवधारणा के लिए खतरा है, न्यायालय ने यह देखा कि चूँकि चल रही COVID -19 महामारी को देखते हुए और ट्रायल के जल्द निष्कर्ष की संभावना बहुत ही कम है, इसलिए जमानत के आवेदनकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए।
सभी मामलों में जमानत का आदेश देते हुए अदालत ने यह आदेश दिया,
"याचिकाकर्ता (जमानत आवेदनकर्ता) के कौशल/संसाधनों से उक्त विद्यालय में ढांचागत सुविधाओं की कमियों को दूर करने के लिए और वहां स्वच्छता एवं सफाई सुनिश्चित करने के लिए, शिक्षा स्वयंसेवक के रूप में याचिकाकर्ता अपने निवास के निकट स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय को शारीरिक और वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।"
इसके अलावा, अदालत ने न्यायालय की रजिस्ट्री को, इस आदेश को कानूनी सहायता अधिकारी, SALSA ग्वालियर के माध्यम से सम्बंधित जिला / ब्लॉक के कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी की जानकारी और अनुपालन के लिए प्रेषित करने का आदेश दिया।
हाल ही के उल्लेखनीय जमानत आदेश
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (इंदौर पीठ) ने गुरुवार (30 जुलाई) को एक व्यक्ति (स्त्री की लज्जा भंग करने के आरोपी) को जमानत पर रिहा करते हुए यह शर्त लगायी कि वह शिकायतकर्ता-महिला के घर जाए और उनसे राखी बांधने का अनुरोध करे और यह वादा करे कि वह आने वाले समय में अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता में उनकी रक्षा करेगा।
दरअसल, न्यायमूर्ति रोहित आर्य की पीठ एक मामले की सुनवाई कर रही थी जिसके तहत एक पड़ोसी के रूप में जमानत के आवेदनकर्ता/आरोपी ने शिकायतकर्ता-महिला के घर में प्रवेश किया था और शिकायतकर्ता का हाथ पकड़कर उनकी लज्जा भंग करने का प्रयास किया था (अभियोजन की कहानी के अनुसार)।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच (न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ) ने बीते मई में तमाम जमानत आवेदनों में इस शर्त पर जमानत दी थी कि याचिकाकर्ता को संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष खुद को "COVID -19 वॉरियर्स" के रूप में पंजीकृत करना होगा। इसके पश्च्यात, उन्हें COVID -19 आपदा प्रबंधन का काम सौंपा जायेगा।
इसी प्रकार की शर्त पटना हाईकोर्ट ने जून महीने की शुरुआत में (1-4 जून 2020) 20 से अधिक जमानत आवेदन के मामलों में लगायी थी।
हाईकोर्ट ने आरोपियों को इस शर्त पर जमानत दी कि जमानत आवेदनकर्ता/आरोपी को एक/दो/तीन महीने की अवधि के लिए "स्वयंसेवक" (Volunteer) के रूप में (Covid -19 से मुकाबला करने के लिए) या COVID अस्पताल/जिला स्वास्थ्य केंद्र में "स्वयंसेवक" के रूप में अपनी सेवा प्रदान करनी होगी।
वहीँ, जून ही के महीने में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच (न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की पीठ) ने मंगलवार (30-जून-2020) को धारा 439 सीआरपीसी के अंतर्गत दाखिल जमानत आवेदन को स्वीकारते हुए आरोपियों/जमानत आवेदनकर्ताओं को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वे 5-5 लीटर अल्कोहलिक सैनिटाइजर और 200-200 अच्छे गुणवत्ता वाले मास्क जिला अस्पताल, धार के पैरा मेडिकल स्टाफ के उपयोग के लिए दान करेंगे।
इसके अलावा, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ) का एक और जमानत आदेश हाल ही में बहुत चर्चा में रहा था जहाँ आरोपियों को ज़मानत की पूर्व शर्त के रूप में स्थानीय ज़िला अस्पताल में दो एलईडी टीवी लगाने का निर्देश दिया, लेकिन साथ ही अदालत ने यह भी कहा था कि ये टीवी चीन में बने नहीं होने चाहिए।
वहीँ पिछले महीने, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 02-जुलाई-2020 को लगभग डेढ़ दर्जन मामलों में जमानत आवेदन (धारा 438/439 सीआरपीसी के तहत दायर आवेदन) को स्वीकारते हुए आरोपियों/जमानत आवेदनकर्ताओं को इस शर्त पर जमानत दे दी थी कि वे शिक्षा स्वयंसेवक के रूप में अपने निवास के निकट स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय को शारीरिक और वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे।
न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ ने इन तमाम मामलों में जमानत आवेदन को स्वीकारते हुए यह शर्त लगायी और यह रेखांकित किया कि इससे स्वच्छता और सफाई सुनिश्चित की जा सकेगी और याचिकाकर्ताओं के कौशल/संसाधनों से उक्त विद्यालय में अवसंरचनात्मक सुविधाओं की कमियों को दूर किया जा सकेगा।
अंत में, हम न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ द्वारा दिनांक 31-अगस्त-2020 को जमानत आवेदन को लेकर दिए गए समस्त आदेशों को यहाँ अटैच नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम अपने पाठकों के लिए उनमे से 1 आदेश को यहाँ जोड़ रहे हैं।
[BAR GWALIOR DONATE BAIL CONDITION] MCRC_3014