प्रक्रिया शुल्क का भुगतान न करने के कारण शिकायत को खारिज करना पुनरीक्षण योग्य: केरल उच्च न्यायालय

LiveLaw News Network

14 Aug 2021 11:42 AM GMT

  • प्रक्रिया शुल्क का भुगतान न करने के कारण शिकायत को खारिज करना पुनरीक्षण योग्य: केरल उच्च न्यायालय

    केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि आपराधिक शिकायत प्रक्रिया शुल्क का भुगतान न करने या आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 204 (4) के तहत निस्तारित अन्य शुल्कों के लिए खारिज कर दी जाती है, तो यह अपील योग्य आदेश नहीं है, लेकिन पुनरीक्षण योग्य है।

    अदालत ने कहा कि यदि शिकायत को शिकायतकर्ता के हाजिर न होने या उसकी मृत्यु के कारण खारिज किया गय है, तो वह CrPC की धारा 256 के तहत आरोपी को बरी करने के समान है। जस्टिस ए बदरुद्दीन ने कहा, इसलिए, शिकायतकर्ता के लिए उपचार CrPC की धारा 378(4) के तहत अपील दायर करना है।

    इस मामले में शिकायतकर्ता की चेक बाउंस की शिकायत उसके उपस्थित न होने के कारण खारिज कर दी गई थी। जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में अपील दायर की। अदालत ने इस मुद्दे के संबंध में कानूनी स्थिति की जांच की कि क्या मजिस्ट्रेट का ऐसा आदेश अपील योग्य या पुनरीक्षण योग्य है।

    संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लेख करते हुए, अदालत ने कहा कि धारा 204 (4) CrPC के तहत शिकायत को खारिज करना, शिकायतकर्ता की गैर-उपस्थिति या मृत्यु के कारण शिकायत को खारिज करने से अलग है। जज ने कहा, "यदि शिकायतकर्ता के उपस्थित न होने या उसकी मृत्यु के कारण शिकायत खारिज कर दी जाती है, तो मजिस्ट्रेट को केवल CrPC की धारा 256 के तहत ऐसा करने के लिए वैधानिक मंजूरी मिलेगी। यह प्रावधान आरोपी को बरी करने का आदेश देता है ।"

    वीके भट बनाम जी रवि किशोर [(2016) 13 एससीसी 243: 2016 केएचसी 6254] में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए , अदालत ने कहा कि जब एक शिकायत खारिज कर दी जाती है, तो आरोपी को बरी करने के बजाय, जैसा कि धारा 256 के तहत प्रावधान किया गया है, शिकायतकर्ता के उपस्थित न होने के आधार पर, उक्त आदेश CrPC की धारा 256 के तहत आरोपी को बरी करने के समान है।

    कोर्ट ने कहा, "21. इस प्रकार उपरोक्त चर्चा से उभरा कानून इस प्रकार है: (i) यदि शिकायत को खार‌िज़ शिकायतकर्ता की गैर-उपस्थिति या मृत्यु के कारण किया गया है, तो समन की तामील पर या अन्यथा पर आरोपी की उपस्थिति के बाद, यह CrPC की धारा 256 के तहत आरोपी को बरी करने के समान होगा और इसलिए शिकायतकर्ता के लिए उपचार CrPC की धारा 378 (4) के तहत अपील दायर करना है (ii) यदि प्रक्रिया शुल्क का भुगतान न करने या CrPC की धारा 204(4) के तहत निस्तारित अन्य शुल्क के कारण के कारण शिकायत खारिज कर दी जाती है तो वही अपीलीय आदेश नहीं है और इसलिए, उक्त आदेश पुनरीक्षण योग्य है।"

    मामले के गुण-दोष के आधार पर, अदालत ने नोट किया कि मजिस्ट्रेट ने शिकायतकर्ता द्वारा चिकित्सा प्रमाण पत्र, जिसमें पेचिश और उल्टी के लिए उसका इलाज दिखाया गया था, के साथ दायर की गई बहाना याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने अपील की अनुमति देते हुए कहा क‌ि ऐसे मामले में, मजिस्ट्रेट को शिकायत को खारिज करने के बजाय स्थगन देना चाहिए था।

    केस: कृष्णनकुट्टी बनाम रमानी; CrA 2417 of 2017

    कोरम: जस्टिस ए बदरुद्दीन

    वकील: अपीलकर्ता के लिए एडवोकेट पॉली मैथ्यू मुरिकेन, प्रतिवादी के लिए एडवोकेट टॉम जोस, राज्य के लिए पब्ल‌िक प्रॉसिक्यूटर माया एमएन

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