जिस अपराध की अभी तक जांच की जानी है, उसके लिए केवल इसलिए जमानत से इनकार करना कि आरोपी आदतन अपराधी है, "अन्यायपूर्ण" है: कर्नाटक हाईकोर्ट

Avanish Pathak

19 May 2022 8:06 AM GMT

  • जिस अपराध की अभी तक जांच की जानी है, उसके लिए केवल इसलिए जमानत से इनकार करना कि आरोपी आदतन अपराधी है, अन्यायपूर्ण है: कर्नाटक हाईकोर्ट

    Karnataka High Court

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति पर आदतन अपराधी होने का आरोप है या उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है, उसे किसी ऐसे अपराध के लिए जेल में रखना, जिसकी जांच होनी बाकी है, 'अन्यायपूर्ण' है।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना की पीठ ने इंजमाम शरीफ नामक एक व्यक्ति की दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की और उन्हें जमानत दे दी। आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 397 और 34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया था।

    मामला

    25.02.2022 को टीएस मनोज नामक एक व्यक्ति की शिकायत के अनुसार, दो अज्ञात व्यक्ति मोटरसाइकिल पर आए, उसका कॉलर पकड़ लिया और उसे चाकू से मारा। इसी दरमियान दूसरे व्यक्ति ने उसका मोबाइल फोन छीन लिया।

    शिकायत दर्ज होने के लगभग एक सप्ताह बाद पुलिस ने याचिकाकर्ता को 02-03-2022 को गिरफ्तार कर लिया और तब से याचिकाकर्ता न्यायिक हिरासत में है। आरोपी ने सत्र न्यायाधीश से जमानत मांगी। हालांकि, इस आधार पर राज्य की आपत्तियों पर विचार करते हुए आवेदन को खारिज कर दिया गया था कि याचिकाकर्ता एक आदतन अपराधी था जिसका आपराधिक इतिहास था और अगर उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो उसके फिर ऐसे ही अपराध करने की संभावना है।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उनके खिलाफ निरे आरोप हैं और उनसे किसी फोन की वसूली नहीं हुई है।

    अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि मामले की जांच की जा रही है और जब जांच चल रही थी तो याचिकाकर्ता को इस आधार पर गिरफ्तार किया गया कि उसका आपराधिक इतिहास है और वह आदतन अपराधी है। यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो उसके वही अपराध करने की संभावना है जो उसने किया है।

    निष्कर्ष

    पीठ ने मामले के तथ्यों का अध्ययन करने पर कहा, "विद्वान सत्र न्यायाधीश द्वारा दिया गया तर्क मौलिक रूप से त्रुटिपूर्ण है।"

    कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता के पास से फोन की कोई बरामदगी नहीं हुई है। हालांकि मामला अभी भी जांच के दायरे में है, अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है, केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता और अन्य पर आदतन अपराधी होने या आपराधिक इतिहास होने का आरोप है, याचिकाकर्ता का उस अपराध के लिए जेल में रहना जिसकी जांच होनी बाकी है, अन्यायपूर्ण है। याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई सामग्री भी नहीं है।"

    तद्नुसार उसे 50,000 रुपये के व्यक्तिगत मुचलके के साथ ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए समान राशि के लिए सॉल्वेंट स्योरिटी के साथ जमानत दी गई। इसने अन्य शर्तें भी लगाईं।

    केस टाइटल: इंजमाम शरीफ बनाम कर्नाटक राज्य

    केस नं: क्रिमिनल पिटिशन नंबर 4045/2022

    सा‌इटेशन: 2022 लाइव लॉ (कर) 162

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