'बैड्स ऑफ बॉलीवुड' के खिलाफ समीर वानखेड़े के मानहानि मुकदमे पर अगले महीने होगी सुनवाई
Shahadat
30 Oct 2025 12:00 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट अगले महीने आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े द्वारा प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट, ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स और अन्य के खिलाफ आर्यन खान द्वारा निर्देशित सीरीज़ "बैड्स ऑफ बॉलीवुड" में उनके कथित अपमानजनक चित्रण को लेकर दायर मानहानि के मुकदमे पर सुनवाई करेगा।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने सभी पक्षकारों से लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को निर्धारित की।
सीनियर एडवोकेट जे साई दीपक वानखेड़े की ओर से पेश हुए। सीनियर एडवोकेट राजीव नायर नेटफ्लिक्स की ओर से पेश हुए।
इस महीने की शुरुआत में हाईकोर्ट ने मुकदमे में समन जारी किया। साथ ही अंतरिम राहत के आवेदन पर नोटिस भी जारी किया।
पिछले महीने अदालत ने वानखेड़े से पूछा था कि दिल्ली में यह मुकदमा कैसे स्वीकार्य है। उन्हें उचित कारण बताते हुए अपनी याचिका में संशोधन करने को कहा था।
मुकदमे में निम्नलिखित को प्रतिवादी बनाया गया: रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, नेटफ्लिक्स, एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर), गूगल एलएलसी, मेटा प्लेटफॉर्म्स, आरपीजी लाइफस्टाइल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और जॉन डो।
वानखेड़े ने 2 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा, जो कैंसर रोगियों के इलाज के लिए टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल को दान किया जाएगा।
यह मुकदमा प्रोडक्शन हाउस और अन्य के खिलाफ श्रृंखला में प्रसारित कथित "झूठे, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक वीडियो" के खिलाफ स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग करते हुए दायर किया गया।
वानखेड़े का कहना है कि नेटफ्लिक्स श्रृंखला को "जानबूझकर अवधारणागत और क्रियान्वित" किया गया, जिसका उद्देश्य उनकी प्रतिष्ठा को "रंगीन और पूर्वाग्रही तरीके से" बदनाम करना है, खासकर तब जब उनका और आर्यन खान से जुड़ा मामला बॉम्बे हाईकोर्ट और NDPS स्पेशल कोर्ट में लंबित और विचाराधीन है।
यह भी आरोप लगाया गया कि श्रृंखला में एक पात्र को "अश्लील इशारा" करते हुए दिखाया गया, विशेष रूप से, "सत्यमेव जयते" का नारा लगाने के बाद "मध्यमा उंगली दिखाते हुए"।
मुकदमे के अनुसार, यह कृत्य राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के प्रावधानों का गंभीर और संवेदनशील उल्लंघन है, जिसके लिए कानून के तहत दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।
मुकदमे में आगे कहा गया कि श्रृंखला की सामग्री सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करती है, क्योंकि यह अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री के उपयोग के माध्यम से राष्ट्रीय भावनाओं को आहत करने का प्रयास करती है।
Case Title: SAMEER DNYANDEV WANKHEDE v. RED CHILLIES ENTERTAINMENTS PVT. LTD. & ORS

