'बीमार व्यक्ति को पर्याप्त उपचार का अधिकार है': दिल्ली हाईकोर्ट ने आबकारी नीति मामले में पी सरथ चंद्र रेड्डी को जमानत दी

Shahadat

9 May 2023 4:33 AM GMT

  • बीमार व्यक्ति को पर्याप्त उपचार का अधिकार है: दिल्ली हाईकोर्ट ने आबकारी नीति मामले में पी सरथ चंद्र रेड्डी को जमानत दी

    दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी की अब रद्द की जा चुकी आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पी सरथ चंद्र रेड्डी को मेडिकल आधार पर नियमित जमानत दे दी। कोर्ट ने रेड्डी को यह देखते हुए जमानत दी कि बीमार व्यक्ति को पर्याप्त और प्रभावी इलाज पाने का अधिकार है।

    हाईकोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीने के अधिकार में स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार शामिल है।

    जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने उक्त तथ्य को देखते हुए कहा,

    "हालांकि जेल और नामित अस्पताल अच्छा बुनियादी उपचार प्रदान करते हैं, लेकिन हम उनसे विशेष उपचार और निगरानी की उम्मीद नहीं कर सकते हैं जैसा कि वर्तमान मामले में आवश्यक है। याचिकाकर्ता की दिनांक 03.05.2023 की अंतिम मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि याचिकाकर्ता की हालत खराब है और उन्हें बीमार/अशक्त की श्रेणी में रखा जा सकता है।”

    अरबिंदो फार्मा के निदेशक रेड्डी को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया था। हालांकि शुरू में योग्यता के आधार पर जमानत मांगी गई, लेकिन रेड्डी की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ती गई और यह दिखाने के लिए कि वह बीमार और दुर्बल है, विभिन्न दस्तावेज रिकॉर्ड में पेश किए गए। इससे पहले निचली अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी।

    एएसजी एसवी ईडी की ओर से पेश राजू ने कहा कि अगर अदालत मेडिकल रिकॉर्ड से संतुष्ट है तो उचित आदेश पारित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान रेड्डी ने किसी गवाह को प्रभावित नहीं किया या किसी साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं की।

    जस्टिस शर्मा ने मेडिकल आधार पर उन्हें नियमित जमानत देते हुए कहा,

    "यह उल्लेख करना उचित है कि प्रतिवादी विभाग ने यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं लाई कि याचिकाकर्ता की रिहाई में जोखिम है। यह भी स्थापित प्रस्ताव है कि जीवन का अधिकार संविधान द्वारा प्रतिष्ठापित मौलिक अधिकार का पहलू है। गरिमा के साथ जीने के अधिकार में स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार भी शामिल है। बीमार या अशक्त व्यक्ति को पर्याप्त और प्रभावी उपचार पाने का अधिकार है।"

    हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि आदेश रेड्डी की मेडिकल स्थिति को देखते हुए पारित किया गया और इसे मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाएगा।

    अदालत ने कहा,

    "यह भी स्पष्ट किया जाता है कि यह अदालत मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं करती और इसमें की गई कोई भी अभिव्यक्ति मामले के गुण-दोष पर अभिव्यक्ति के समान नहीं होगी।"

    पिछले हफ्ते निचली अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सह-आरोपियों राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को नियमित जमानत दी थी।

    हालांकि, आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को विशेष न्यायाधीश ने सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया है। उनकी जमानत याचिका फिलहाल जस्टिस शर्मा के समक्ष लंबित है।

    ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12% का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई। इसने कहा कि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के कार्यवृत्त में इस तरह की शर्त का उल्लेख नहीं किया गया।

    एजेंसी का यह भी आरोप है कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों द्वारा साजिश रची गई। यह तर्क दिया गया कि नायर सिसोदिया की ओर से काम कर रहे थे।

    केस टाइटल: पी. सरथ चंद्र रेड्डी बनाम प्रवर्तन निदेशालय

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