दिल्ली हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालयों को पक्षकारों के अनुरोध पर हाइब्रिड/वीसी सुनवाई की अनुमति देने वाले फुल कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

18 Nov 2021 12:25 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालयों को पक्षकारों के अनुरोध पर हाइब्रिड/वीसी सुनवाई की अनुमति देने वाले फुल कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को सभी अधीनस्थ अदालतों को निर्देश दिया कि वे फुल कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए पक्षकारों के अनुरोध पर हाइब्रिड या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा की अनुमति दें।

    न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ फुल कोर्ट के निर्देशों के बावजूद जिला अदालतों के हाइब्रिड सुनवाई की अनुमति नहीं देने के मुद्दे से संबंधित एक याचिका पर विचार कर रही थी।

    याचिका में मूल याचिकाकर्ता अनिल कुमार हजले ने आवेदन दायर किया था। इसमें कहा गया कि दिल्ली के अधीनस्थ न्यायालयों और अर्ध न्यायिक निकायों को उन वकीलों के लाभ के लिए हाइब्रिड सुनवाई करनी चाहिए जो COVID-19 संक्रमणता से पीड़ित हैं और फिजिकल रूप से अदालत में पेश होने में असमर्थ हैं।

    न्यायालय का विचार था कि जब फुल कोर्ट का आदेश होता है तो न्यायिक अधिकारी उसका पालन करने के लिए बाध्य होते हैं।

    पीठ ने आदेश दिया,

    "हम यह स्पष्ट करते हैं कि दिल्ली के सभी जिलों में आने वाली सभी अधीनस्थ अदालतें उसका (फुल कोर्ट के आदेश) पालन करने के लिए बाध्य हैं।"

    इसमें कहा गया कि न्यायिक अधिकारी हाइब्रिड सुनवाई के अनुरोध को अस्वीकार नहीं कर सकते हैं और सभी अधीनस्थ अदालतों को आदेश जारी रहने तक उनका पालन करने का निर्देश दिया गया।

    याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान, COVID-19 मामलों की बढ़ती संख्या पर अपनी आशंका व्यक्त करते हुए न्यायालय ने कहा था कि शहर में जिला अदालतों और अन्य अर्ध न्यायिक निकायों में हाइब्रिड सुनवाई करने के लिए बुनियादी ढांचे की व्यवस्था होनी चाहिए।

    इससे पहले यह देखते हुए कि चल रही COVID-19 महामारी के कारण नागरिकों के न्याय तक पहुंच के अधिकार में गंभीर रूप से बाधा उत्पन्न हुई है। न्यायालय ने दिल्ली सरकार को जिला अदालतों और अर्ध-न्यायिक निकायों में हाइब्रिड सुनवाई के लिए बुनियादी ढांचा और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए त्वरित कदम उठाने का निर्देश दिया।

    इसने यह भी स्पष्ट किया कि यदि दिल्ली सरकार द्वारा उक्त प्रस्ताव को ठुकरा दिया जाता है तो वह सब्सिडी और सार्वजनिक विज्ञापनों के अनुदान पर एक अप्रैल, 2020 से उसके द्वारा किए गए खर्च का पूरा विवरण न्यायालय के समक्ष रखेगी।

    पीठ ने कहा,

    "न्याय तक पहुंच वह अधिकार है जो सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है और चल रही महामारी के कारण इसे गंभीर रूप से बाधित किया गया है। बुनियादी ढांचे की कमी के कारण जिला अदालतों के साथ-साथ उपभोक्ता फोरम/ट्रिब्यूनल कुशलतापूर्वक कार्य करने में सक्षम नहीं हैं। COVID-19 के मामले बढ़ रहे हैं और लोगों को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।"

    केस का शीर्षक: अनिल कुमार हजले और अन्य बनाम दिल्ली हाईकोर्ट

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