दिल्ली हाईकोर्ट ने बच्चे को मां के साथ विदेश जाने के लिए 9 दिनों तक मां की कस्टडी में दखल देने से इनकार किया

Shahadat

30 Jun 2022 10:06 AM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने बच्चे को मां के साथ विदेश जाने के लिए 9 दिनों तक मां की कस्टडी में दखल देने से इनकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चों की कस्टडी से संबंधित मामलों में न्यायालय को बच्चों के कल्याण पर सर्वोपरि ध्यान देना होगा।

    जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की अवकाश पीठ परिवार न्यायालय द्वारा 8 जून, 2022 को पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार कर रही थी। उक्त आदेश के तहत अदालत ने मां को बच्चे को नौ दिनों की अवधि के लिए मलेशिया ले जाने की अनुमति दी थी।

    फैमिली कोर्ट ने कहा था कि मां बच्चे को तीन जुलाई को दिल्ली वापस लाएगी ताकि वह स्कूल जा सके, जो गर्मी की छुट्टियों के बाद फिर से खुल जाएगा। अदालत ने माता और पिता दोनों को अपने पहले के न्यायिक आदेशों के संदर्भ में कस्टडी और मुलाक़ात कार्यक्रम का सख्ती से पालन करने का भी निर्देश दिया था।

    पिता ने यह तर्क देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि फैमिली कोर्ट ने पूरे तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में नहीं रखा। कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखे बिना कि मां के भागने का जोखिम है, यांत्रिक रूप से आदेश पारित किया।

    पिता ने यह भी दावा किया कि अतीत में ऐसा हुआ है, जिसे विभिन्न मामलों में हाईकोर्ट ने भी नोट किया है कि बच्चे को वापस नहीं लाया गया।

    मामले के तथ्यों को देखते हुए न्यायालय ने इस प्रकार कहा:

    "इस अदालत का दृढ़ मत है कि बच्चों की कस्टडी से संबंधित मामले में अदालत को बच्चों के कल्याण को सर्वोपरि ध्यान देना चाहिए।"

    कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने पक्षकारों की सभी दलीलों को ध्यान में रखते हुए विस्तृत आदेश पारित किया, जिसमें बच्चे को मां द्वारा नौ दिनों की अवधि के लिए मलेशिया ले जाने की अनुमति दी गई है। यह भी नोट किया गया कि पहले भी बच्चे को मां को दुबई ले जाने की अनुमति दी गई थी।

    कोर्ट ने कहा,

    "मेरा मानना ​​है कि इस स्तर पर और इतने कम नोटिस पर इस न्यायालय द्वारा किसी भी हस्तक्षेप से बच्चे को केवल मानसिक आघात होगा। इस प्रकार, यह अदालत फैमिली कोर्ट के आदेशों में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं करती।"

    आक्षेपित आदेश को बरकरार रखते हुए न्यायालय ने यह भी नोट किया कि उसने फैमिली कोर्ट द्वारा पारित आदेश में कोई विकृति, दुर्भावना या विवेक का गैर-उपयोग नहीं पाया।

    कोर्ट ने मामले को रोस्टर बेंच के समक्ष 15 जुलाई को सूचीबद्ध करते हुए प्रतिवादी मां को नोटिस जारी किया।

    केस टाइटल: पंकज जैन बनाम पारुल जैन

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 597

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