"दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनहित याचिका का इस्तेमाल नागरिकों को ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा है": दिल्ली हाईकोर्ट ने एनजीओ पर अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए दस लाख रुपए का जुर्माना लगाया

Shahadat

4 Aug 2022 5:26 AM GMT

  • दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनहित याचिका का इस्तेमाल नागरिकों को ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा है: दिल्ली हाईकोर्ट ने एनजीओ पर अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए दस लाख रुपए का जुर्माना लगाया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने अनधिकृत निर्माण का आरोप लगाने वाली एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगता हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनहित याचिका का इस्तेमाल नागरिकों को ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा है।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने यह देखते हुए कि यह ब्लैकमेलिंग स्तर का मुकदमा है, एनजीओ को 30 दिनों की अवधि के भीतर सेना युद्ध विधवा कोष में जुर्माना की राशि जमा करने का निर्देश दिया।

    न्यू राइज फाउंडेशन द्वारा जनहित याचिका दायर की गई। चैरिटेबल ट्रस्ट ने दावा किया कि वह अनाथ बच्चों को आश्रय और गरीबों को भोजन प्रदान करता है। उसने यह आरोप लगाया कि वहां 600 वर्ग गज में अवैध संरचना मौजूद है।

    यह कहा गया कि एनजीओ ने विभिन्न अधिकारियों को विभिन्न अभ्यावेदन दिए। फिर भी अनधिकृत या अवैध संरचना के संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया।

    दूसरी ओर, दिल्ली नगर निगम की ओर से पेश वकील ने कहा कि जब वे तत्परता के साथ कार्रवाई कर रहे थे, एनजीओ बिल्डरों और अन्य लोगों को ब्लैकमेल करने में शामिल था।

    इस पर कोर्ट ने कहा,

    "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनहित याचिका का उपयोग अब नागरिकों को ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा है। यह जनहित याचिका नहीं है। वास्तव में यह कुछ तस्वीरों पर आधारित मुकदमा है, जिसके परिणामस्वरूप मुकदमेबाजी के प्रकार को ब्लैकमेल किया जा रहा है।"

    अदालत ने पाया कि एनजीओ ने जानबूझकर इस तथ्य को दबाया कि उसी संपत्ति के संबंध में दायर पूर्व रिट याचिका को वापस लेने के रूप में खारिज कर दिया गया था।

    अदालत ने कहा,

    "याचिकाकर्ता अन्यथा भी चाहता है कि कुछ तस्वीरों के आधार पर जांच की जाए। मगर इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई अन्य सबूत रिकॉर्ड में नहीं लाया गया है कि विचाराधीन संरचना (इमारत) अनधिकृत निर्माण है।"

    इसमें कहा गया,

    "माननीय सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त मामले में जनहित याचिका के दुरुपयोग के बारे में चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में दायर की जा रही जनहित याचिकाओं के बारे में भी चिंता जाहिर की, जिनकी हाईकोर्ट और माननीय सुप्रीम कोर्ट में बाढ़-सी आ गई है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि व्यक्तिगत स्कोर, विवाद और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को जनहित याचिका के माध्यम से हल नहीं किया जाना चाहिए।"

    अदालत ने इसे कानून की प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग और जुर्माना थोपने का आरोप लगाते हुए रजिस्ट्रार जनरल को इसकी वसूली की निगरानी करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: न्यू राइज फाउंडेशन रजि. चैरिटेबल ट्रस्ट बनाम नगर निगम दिल्ली और अन्य।

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