दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट परिसर से बैग चोरी करने की आरोपी महिला को जमानत देने से इनकार किया

Shahadat

14 Aug 2023 6:14 AM GMT

  • दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट परिसर से बैग चोरी करने की आरोपी महिला को जमानत देने से इनकार किया

    दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के कोर्ट रूम के बाहर से बैग और अन्य कीमती सामान चुराने की आरोपी महिला को जमानत देने से इनकार किया।

    पटियाला हाउस कोर्ट के ड्यूटी एमएम पारस दलाल ने एक दिन की पुलिस हिरासत के बाद पेश की गई महिला को 26 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

    अदालत ने कहा,

    “आरोपों की गंभीरता पर विचार करने के बाद यह अदालत आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजना उचित समझती है, क्योंकि आईओ की आशंका सही है कि एक बार जमानत पर रिहा होने के बाद, आरोपी फरार हो सकती है और यहां तक ​​कि गवाह को धमकी दे सकती है या इसी तरह के अपराध में शामिल हो सकती है।''

    जज आरोपी की इस बात से सहमत नहीं थे कि सीसीटीवी फुटेज में दिख रही महिला वह नहीं थी।

    अदालत ने कहा,

    “तद्नुसार आरोपी की जमानत की अर्जी खारिज की जाती है। आरोपी को 26.08.2023 तक जेसी के पास भेजा जाता है और संबंधित एमएम/ड्यूटी एमएम के सामने पेश किया जाता है।''

    हाल ही में एक लॉ इंटर्न द्वारा एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि आरोपी महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट के कोर्ट रूम के बाहर से उसका बैग और लैपटॉप और आईपैड सहित अन्य मूल्यवान सामान चुरा लिया।

    जबकि आरोपी ने इस आधार पर जमानत मांगी कि चोरी की गई संपत्ति की कोई बरामदगी नहीं हुई और सीआरपीसी की धारा 41ए का अनुपालन नहीं हुआ। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि महिला को हाईकोर्ट के अदालत कक्षों के बाहर से बैग उठाने की आदत थी।

    अभियोजन पक्ष ने आगे दलील दी कि ऐसी भी आशंका है कि महिला ऐसी दो अन्य घटनाओं में शामिल हो सकती है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि आरोपी महिला की हरकतों के कारण वकीलों के बीच दिल्ली हाईकोर्ट के कोर्ट रूम के बाहर बैग छोड़ने में डर था। इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि गंभीर सुरक्षा चूक थी, क्योंकि आरोपी महिला, जो वकील नहीं है और उसके पास वैध वकील आईडी नहीं है, उसको अदालत परिसर में देखा गया।

    जांच अधिकारी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि आरोपी पूरी जांच में सहयोग नहीं कर रहा, उसने जांच में शामिल होने से इनकार कर दिया। यहां तक कि पुलिस अधिकारियों का भी विरोध किया।

    यह भी कहा गया कि महिला ने अपना विवरण साझा करने से इनकार कर दिया और अपना कोई भी पहचान प्रमाण देने में विफल रही।

    आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने आरोपी महिला को न्यायिक हिरासत में भेजना उचित समझा। साथ ही आईओ की यह आशंका सही थी कि जमानत पर रिहा होने के बाद महिला फरार हो सकती है।

    शिकायतकर्ता की ओर से एडवोकेट प्रभाव रैली और स्तुति गुप्ता उपस्थित हुए।

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