डिफ़ॉल्ट जमानत के दावे पर विचार करने के लिए रिमांड की तारीख को शामिल किया जाना चाहिए, संदर्भ के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा
Avanish Pathak
27 March 2023 11:16 AM

सुप्रीम कोर्ट ने कानून के एक महत्वपूर्ण बिंदु पर एक संदर्भ का जवाब देते हुए माना कि डिफॉल्ट बेल के दावे पर विचार करने के लिए रिमांड की तारीख शामिल की जानी चाहिए।
जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कहा रिमांड की अवधि की गणना उस तारीख से की जाएगी, जब मजिस्ट्रेट ने अभियुक्तों को रिमांड पर लिया था।
पीठ ने कहा कि अगर रिमांड के 61वें या 91वें दिन तक चार्जशीट दाखिल नहीं की जाती है तो आरोपी डिफॉल्ट जमानत का हकदार हो जाता है। उक्त टिप्पणियों के साथ पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर एक अपील को खारिज कर दिया, जिसमें यस बैंक मामले में डीएचएफएल के पूर्व प्रमोटर्स कपिल वधावन और धीरज वधावन को दी गई डिफॉल्ट जमानत को चुनौती दी गई थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि रिमांड की तारीख को 90 दिनों या 60 दिनों की अवधि की गणना के उद्देश्य से शामिल किया जाना चाहिए, जैसा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) (ए) (ii) में माना गया है।
इस मामले में आरोपियों को 14 मई, 2020 को रिमांड पर लिया गया था। चार्जशीट 13 जुलाई 2020 को दायर की गई थी। आरोपियों का तर्क था कि रिमांड की तारीख से गणना की जाए तो 60 दिन की अवधि 12 जुलाई 2020 को समाप्त हो गई। ईडी ने विरोध किया।
ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि पहली रिमांड की तारीख को छोड़कर 60 दिनों की गणना करनी होगी। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि आक्षेपित फैसले में 60 दिनों की अवधि की गणना करते समय रिमांड की पहली तारीख को बाहर करना गलत था और यह माना कि ईडी का 13 जुलाई 2020 को चार्जशीट दाखिल करना यानि 61वें दिन, उत्तरदाताओं को डिफॉल्ट जमानत का हकदार बनाता है।
बड़ी बेंच को रेफर किया गया
मार्च 2021 में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश रॉय की दो जजों की पीठ ने डिफॉल्ट जमानत के दावे पर विचार करने के लिए रिमांड के दिन को शामिल करने या बाहर करने के सवाल को एक बड़ी बेंच को भेजा था।
संदर्भित पीठ ने देखा कि मध्य प्रदेश राज्य बनाम रुस्तम और अन्य 1995 (Supp) 3 SCC 221, रवि प्रकाश सिंह बनाम बिहार राज्य (2015) 8 SCC 340 और एम रवींद्रन बनाम खुफिया अधिकारी, राजस्व खुफिया निदेशक में यह माना गया कि जांच पूरी करने के लिए अनुमत अवधि की गणना के लिए रिमांड की तारीख को बाहर रखा जाना है।
दूसरी ओर छगंती सत्यनारायण बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (1986) 3 SCC 141, सीबीआई बनाम अनुपम जे कुलकर्णी (1992) 3 SCC 141, राज्य बनाम मो अशरफत भट (1996) 1 SCC 432, महाराष्ट्र राज्य बनाम भारती चांदमल वर्मा (2002) 2 SCC 121, और प्रज्ञा सिंह ठाकुर बनाम महाराष्ट्र राज्य (2011) 10 SCC 445 में माना गया कि डिफॉल्ट जमानत के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए रिमांड की तारीख को शामिल किया जाना चाहिए।
केस टाइटलः प्रवर्तन निदेशालय बनाम कपिल वधावन