COVID-19: जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने वकीलों के टीकाकरण, वित्तीय सहायता के ल‌िए निर्देश जारी किए

LiveLaw News Network

6 May 2021 3:56 PM IST

  • Consider The Establishment Of The State Commission For Protection Of Child Rights In The UT Of J&K

    जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने यूटी एडमिनेस्ट्रेशन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि 45 वर्ष से अधिक आयु के वकीलों को COVID-19 प्रतिरोधी टीका एक सप्ताह के भीतर लगा दिया जाए।

    कोर्ट ने आदेश दिया है कि 18-45 आयु वर्ग के वकीलों को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए और COWIN ऐप पर रजिस्ट्रेशन करने के दो सप्ताह के भीतर उनका टीकाकरण किया जाना चाहिए।

    यह आदेश एक डिवीजन बेंच ने दिया है, जिसमें चीफ जस्टिस पंकज मिठल और जस्ट‌िस संजय धर शामिल ‌थे। पीठ COVID-19 महामारी के बीच नागरिकों के जीवन को बचाने के लिए पर्याप्त चिकित्सकीय सहयाता के संबंध में एक स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    यह देखते हुए कि सरकार महामारी को नियंत्रित करने और पूर्ण चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए उचित कदम उठा रही है, खंडपीठ ने कहा कि बहुत कुछ किया जाना आवश्यक है और निम्नलिखित बिंदुओं पर निर्देश पारित करने की आवश्यकता है:

    वकीलों का पंजीकरण और टीकाकरण

    डिवीजन बेंच ने 45 वर्ष से अधिक आयु के वकीलों के पंजीकरण और टीकाकरण के संबंध में कोर्ट ने रजिस्ट्री को ऐसे अधिवक्ताओं के पंजीकरण के लिए तारीख तय करने का निर्देश दिया।

    यह आदेश दिया गया कि ऐसे वकीलों के समूहों में टीकाकरण के लिए कुछ तारीखें तय की जा सकती हैं, या तो हाईकोर्ट कैंपस या मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में कुछ उपयुक्त जगह पर सहमति दी जा सकती है।

    18 से 45 वर्ष के बीच के वकीलों के टीकाकरण के संबंध में, न्यायालय ने सलाह दी कि वे निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार टीकाकरण के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं।

    आगे आदेश दिया गया कि एक बार पंजीकृत होने के बाद, उन्हें टीकाकरण की सुविधा प्रदान की जाएगी (i) समूह में या तो उपयुक्त स्थानों पर उपयुक्त तारीखों पर, या (ii) उन्हें प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण के लिए जल्द से जल्द एक स्लॉट दिया जाएगा, यदि संभव हो तो, पंजीकरण की तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर।

    प्रभावित वकीलों को वित्तीय सहायता

    बेंच को एमिकस क्यूरी मोनिका कोहली ने बताया कि हाईकोर्ट की जम्मू और श्रीनगर विंग्स के वकील रोजाना COVID -19 से संक्रमित हो रहे हैं। उन्होंने आग्रह किया कि COVID -19 के कारण हाल ही में मारे गए वकीलों के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है।

    जिसके बाद, न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि ‌किसी वकील के परिवार को चिकित्सा व्यय या मृत्यु के आर्थिक सहायता की आवश्यकता है या परिवार के सदस्य आवेदन के साथ बार एसोसिएशन से संपर्क कर सकते हैं।

    अदालत ने कहा, "आवेदन को आगे बढ़ाए जाने पर, अदालत तेजी से इस पर विचार करेगी और कल्याण कोष से अधिकतम वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रयास करेगी।"

    कोर्ट ने सरकार से ऐसे परिवारों के लिए अतिरिक्त बजटीय आवंटन करने पर विचार करने का भी अनुरोध किया है, क्योंकि बार के पास उपलब्ध धन आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है।

    घर पर मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति

    सुनवाई के दौरान, अदालत को सूचित किया गया कि जो लोग घर पर हैं और गंभीर रोगी नहीं हैं, लेकिन उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता है उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल रहा है।

    दूसरी ओर, उत्तरदाता अधिकरणों की ओर से पेश एडवोकेट जनरल डीसी रैना और एएजी असीम साहनी ने दावा किया कि केंद्रशासित प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति की कोई कमी नहीं है और घर पर रोगियों के लिए ऑक्सीजन के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

    अदालत ने वित्त आयुक्त, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा को निर्देश दिया है कि प्रत्येक शहर के लिए पर्याप्त संख्या में नोडल अधिकारी नामित करें ताकि घर पर रोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में आने वाली कठिनाई का समाधान किया जा सके।

    आदेश दिया गया कि ऐसे नोडल अधिकारियों के संपर्क नंबर आदि के साथ पूर्ण विवरण व्यापक रूप से प्रचारित किया जाएगा।

    यह भी कहा गया है कि एक बार नोडल अधिकारियों को संपर्क करने के बाद, वे ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और पर्याप्त कदम उठाएंगे।

    संक्रामक रोग विशेषज्ञ की सेवाएं लेना

    वरिष्ठ अधिवक्ता रोहित कपूर ने कहा कि पूरे केंद्र शासित प्रदेश में संक्रामक रोगों के इलाज के लिए एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। उन्होंने आग्रह किया कि सरकार को अन्य राज्यों के संक्रामक रोग विशेषज्ञों की सेवाएं लेने के लिए निर्देशित किया जाए।

    हालांकि, डिवीजन बेंच ने कहा कि यह निश्चित नहीं है कि COVID -19 के लिए ऐसा विशेषज्ञ आवश्यक है या नहीं। इसने वित्त आयुक्त, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा को देश भर में उपलब्ध ऐसे विशेषज्ञों की संख्या का पता लगाने का आदेश दिया है और साथ ही इस संभावना का पता लगाने को कहा कि क्या उनमें से कोई केंद्रशासित प्रदेश की सेवा देने के लिए तैयार है।

    वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, बेड और दवा की कमी

    वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील सेठी ने यूटी में ऑक्सीजन की कमी, रेमडेसिविर और डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की कमी पर प्रकाश डाला। इसी तरह, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने वेंटिलेटर की कमी पर प्रकाश डाला और कहा कि सरकार सही आंकड़ों का खुलासा नहीं कर रही है।

    न्यायालय ने वित्त आयुक्त, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा को दो सप्ताह के भीतर शपथ पत्र पर दायर करने निर्देश दिया है, जिसमें COVID के इलाज के लिए तय सरकारी और निजी अस्पतालों की संख्या, उनमें जिलावार / शहरवार उपलब्ध बेड की संख्या, केंद्र शासित प्रदेश को आवंटित रेमडेसिविर की संख्या, प्राप्त की गई और उपयोग की गई रेमडेसिविर की मात्रा, साथ ही आवश्यकता के आंकड़े शामिल हो।

    केस टाइटल: कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम भारत सरकार

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story