COVID-19: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसके और अधीनस्थ न्यायलयों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों की अवधि को 31 मई तक बढ़ाया
LiveLaw News Network
24 April 2021 3:30 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल दर्ज किए गए एक स्वतः संज्ञान मामले को फिर से उठाते हुए शनिवार को राज्य के विभिन्न न्यायालयों और न्यायाधिकरणों द्वारा 15 मार्च, 2021 तक पारित सभी अंतरिम आदेशों की अवधि को 31 मई, 2021 तक बढ़ा दिया है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य में COVID-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर आदेश पारित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप सभी स्तरों पर अदालतें कम क्षमता के साथ काम कर रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ द्वारा यह आदेश पारित किया है।
आदेश में कहा गया है:
इलाहाबाद और साथ ही लखनऊ में सभी जिला न्यायालयों, सिविल न्यायालयों, परिवार न्यायालयों, श्रम न्यायालयों, औद्योगिक न्यायाधिकरणों और अन्य सभी न्यायाधिकरणों या अर्ध-न्यायिक मंचों पर हाईकोर्ट द्वारा 15 मार्च, 2021 तक पारिता सभी अंतरिम आदेश को 31.05.2021 तक विस्तारित किया जाता है।
1. इस न्यायालय के अंतरिम आदेश या निर्देश या उत्तर प्रदेश राज्य में इस न्यायालय के अधीन आने वाली कोई भी अदालत जो अगले आदेश तक काम करने के लिए होती है, संबंधित न्यायालय के विशिष्ट आदेश तक संशोधित होने तक बनी रहेगी।
2. उत्तर प्रदेश राज्य में आपराधिक अदालतें, जिन्हें सीमित अवधि के लिए जमानत के आदेश या अग्रिम जमानत दी गई है, जो कि समाप्त होने की संभावना है, 31.05.2021 को या उससे पहले की अवधि के लिए उस तिथि तक यानी 31.05.2021 तक विस्तारित होगी।
3. निष्कासन, फैलाव या विध्वंस का कोई भी आदेश, जो पहले से ही हाईकोर्ट, जिला न्यायालय या सिविल कोर्ट द्वारा पारित हो चुका है, यदि इस आदेश के पारित होने की तिथि तक निष्पादित नहीं किया जाता है तो 31.05.2021 तक की अवधि के लिए निरस्त रहेगा।
4. राज्य सरकार, नगर प्राधिकरण, अन्य स्थानीय निकाय और एजेंसियां और राज्य सरकार की सहायक उपकरण 31.05.2021 तक विध्वंस और लोगों को बेदखल करने की कार्रवाई करने में धीमी होगी।
5. कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान 31.05.2021 तक किसी भी संपत्ति या संस्थान या व्यक्ति या पक्ष या किसी भी निकाय के संबंध में नीलामी के लिए कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
6. हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान आदेश के अनुसार अंतरिम आदेशों के विस्तार के मामले में किसी भी अनुचित कठिनाई और पूर्वाग्रह के कारण किसी भी पक्ष को इस तरह की कार्यवाही के लिए उक्त पक्षकार सक्षम न्यायालय, ट्रिब्यूनल, आदि के समक्ष उपयुक्त आवेदन को स्थानांतरित करके उचित राहत पाने के लिए स्वतंत्र होंगे।
खंडपीठ ने स्पष्ट किया,
"इस आदेश द्वारा जारी सामान्य दिशा ऐसे आवेदन पर विचार करने और सभी पक्षों को सुनने के अवसर का फैसला करने के बाद निर्णय लेने में रोक नहीं होगी।"
यह भी जोड़ा गया,
"कहने की जरूरत नहीं है कि राज्य और उसके अधिकारी आवश्यक दिशा-निर्देशों के लिए विशेष मामले के संबंध में उचित आवेदन दायर करने के लिए स्वतंत्र होंगे।"
31 मई, 2021 को स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
केस टाइटल: स्वतः संज्ञान मामला बनाम यूपी राज्य
आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें