आपराधिक मामला लंबित होने पर भी न्यायालयों को सीआरपीसी की धारा 104 के तहत पासपोर्ट जब्त करने की शक्ति नहीं: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

30 March 2022 8:56 AM GMT

  • आपराधिक मामला लंबित होने पर भी न्यायालयों को सीआरपीसी की धारा 104 के तहत पासपोर्ट जब्त करने की शक्ति नहीं: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि आपराधिक मामला लंबित होने पर भी सीआरपीसी की धारा 104 के तहत न्यायालय द्वारा पासपोर्ट को जब्त नहीं किया जा सकता।

    आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत आपराधिक याचिका दायर की गई। इसमें प्रधान सत्र न्यायाधीश के न्यायालय के आदेश को रद्द करने और याचिकाकर्ता के पासपोर्ट को वापस करने के लिए उसे रिन्यू करने के बाद यूएसए की यात्रा करने की अनुमति देने की मांग की गई।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उसने लगाई गई शर्तों का ईमानदारी से पालन किया और याचिकाकर्ता को विदेश यात्रा करने की अनुमति दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उसका इरादा पासपोर्ट रिन्यू और बेटी की डिलीवरी के बाद उससे मिलने का था, जो यूएसए में रह रही है। इसलिए, छह महीने के लिए पासपोर्ट की अस्थायी वापसी की मांग की।

    वकील ने सुरेश नंद बनाम सीबीआई (2008) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णय पर भरोसा किया। इसमें यह देखा गया कि सीआरपीसी की धारा 104 के तहत न्यायालय द्वारा पासपोर्ट को जब्त नहीं किया जा सकता। हालांकि यह किसी अन्य दस्तावेज या चीज को जब्त कर सकता है।

    इसके अलावा, उपरोक्त मामले में यह माना गया कि न तो पुलिस और न ही न्यायालयों के पास पासपोर्ट को जब्त करने या आरोपी को पासपोर्ट जमा करने या आत्मसमर्पण करने का निर्देश देने का अधिकार है, भले ही न्यायालय में कोई आपराधिक मामला लंबित हो। केवल पासपोर्ट अधिकारी ही पासपोर्ट को जब्त करने के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं।

    न्यायमूर्ति डी. रमेश ने निर्धारित कानून पर विचार करते हुए आपराधिक याचिका की अनुमति दी। साथ ही निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को छह महीने की अवधि के लिए पासपोर्ट लौटा दिया जाए।

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी हाल के एक फैसले में यही प्रस्ताव रखा था।

    केस शीर्षक: रवि रमेश बाबू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य

    साइटेशन : 2022 लाइव लॉ (एपी) 39

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