अवमानना: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारी के "चरित्र हनन" के लिए दोषी वकील को 6 महीने की कैद की सजा सुनाई

Avanish Pathak

6 May 2023 9:26 PM IST

  • अवमानना: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारी के चरित्र हनन के लिए दोषी वकील को 6 महीने की कैद की सजा सुनाई

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अदालत की अवमानना ​​के दोषी एडवोकेट उत्पल गोस्वामी को छह महीने कारावास की सजा सुनाई है। उन्होंने एक अतिरिक्त जिला जज के पहनावे पर टिप्पणी थी। साथ ही उनकी तुलना पौराणिक राक्षस से की थी। उन्होंने कई अन्य ‌टिप्पणियां भी की थीं।

    जस्टिस कल्याण राय सुराणा और ज‌स्टिस देवाशीष बरुआ की खंडपीठ ने उन्हें 15 दिनों के लिए हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र के तहत किसी भी अदालत में वकील के रूप में पेश होने से भी रोक दिया।

    पीठ ने कहा,

    “…प्रतिवादी-अवमाननाकर्ता ने न केवल संबंधित विद्वान न्यायिक अधिकारी की अखंडता और निष्पक्षता पर निराधार कटु हमला किया है, बल्कि उक्त न्यायिक अधिकारी के चरित्र हनन पर भी उतर आया। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने चयन प्रक्रिया की पवित्रता पर सवाल उठाते हुए न्यायिक अधिकारी के चयन पर अपमानजनक टिप्पणी करके इस अदालत पर भी हमला किया।"

    पीठ का विचार था कि 52 वर्ष की आयु के एक परिपक्व नागरिक द्वारा इस तरह की टिप्पणी पूरे देश में बार के अन्य सदस्यों को जजों के खिलाफ अपमानजनक और धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, जब भी उनके हितों के खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाएगा।

    गोस्वामी ने स्थानांतरण के लिए धारा 24 सीपीसी के तहत एक याचिका दायर की थी, जो अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, जोरहाट की अदालत के समक्ष लंबित थी।

    याचिका में उन्होंने कहा,

    "पीठासीन अधिकारी रैंप में एक मॉडल की तरह गहने पहनकर अदालत चला रही हैं। हर मौके पर उन्होंने वकीलों को सुने बिना अनावश्यक केस कानूनों और कानून की धाराओं का हवाला देकर उन पर हावी होने/ उनका दमन करने की कोशिश की है। वह गैंग की तरह बर्ताव करते हुए कोर्ट रूम को नियंत्रित करने की कोशिश करती हैं।"

    गोस्वामी ने न्यायिक अधिकारी की तुलना 'भस्मासुर' से की। उन पर अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 14 के तहत आपराधिक अवमानना ​​का आरोप लगाया गया था। अपने हलफनामे में उन्होंने आरोप के लिए खुद को दोषी माना और बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वह भविष्य में इस प्रकार के अपराध को कभी नहीं दोहराएंगे।

    अदालत ने गोस्वामी को अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 14 के प्रावधान के अनुसार दोषी दोषी ठहराया और कहा कि गोस्वामी की बिना शर्त माफी पर्याप्त नहीं है।

    कोर्ट सजा के लिए मामले की सुनवाई कर रही है।

    न्यायालय ने माना कि गोस्वामी ने हाईकोर्ट के जजों रजिस्ट्री और नियुक्ति अनुभाग से जुड़े अधिकारियों पर आक्षेप लगाकर न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप किया है।

    केस टाइटल: XXX बनाम In Re उत्पल गोस्वामी

    कोरम : ज‌स्टिस कल्याण राय सुराणा और जस्टिस देवाशीष बरुआ


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