बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले में हस्तक्षेप आवेदन दायर करने वाले वकील पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया

Shahadat

21 Jan 2023 12:12 PM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले में हस्तक्षेप आवेदन दायर करने वाले वकील पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया

    बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने शुक्रवार को आपराधिक मामले में एडवोकेट घनश्याम उपाध्याय के हस्तक्षेप आवेदन को खारिज कर दिया और उन पर 25,000 रूपए का जुर्माना लगाया।

    अदालत ने पाया कि केवल पीड़ित को आपराधिक मुकदमे में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी है, बाहरी व्यक्ति को अनुमति नहीं दी जा सकती।

    अदालत ने कहा,

    "केवल अपने आप को कानूनी पेशे के बहुत जानकार सदस्य के रूप में समझने का मतलब यह नहीं है कि आवेदक इस मामले से संबंधित है। यह प्रतिवादी नंबर एक (सीबीआई) है, जिसे इस मामले में चिंता करने के लिए कहा जा सकता है न कि आवेदक, जो मामले में अजनबी है- न तो पीड़ित है और न ही मामले में आरोपी है।"

    अदालत ने कहा कि अदालत को धमकाने का प्रयास किया गया।

    पीठ ने कहा,

    “आवेदक वकील ने हस्तक्षेप की मांग करते हुए अयोग्य आवेदन दायर करके न केवल इस न्यायालय के मूल्यवान समय नष्ट किया, बल्कि न्यायालय को धमकाने का भी प्रयास किया। आवेदक भोला व्यक्ति नहीं है।”

    उपाध्याय ने सीबीआई द्वारा अवैध गिरफ्तारी का आरोप लगाते हुए जमानत के लिए वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत की याचिका का विरोध करने के लिए आवेदन दायर किया। उपाध्याय के वकील सुभाष झा ने प्रस्तुत किया कि अपीलकर्ता को दीवानी और आपराधिक कानूनों का गहन ज्ञान है और साथ ही वह वेदों, शास्त्रों और पुराणों को भी जानता है।

    झा ने कहा कि उनके मुवक्किल रामायण के श्लोकों का पाठ कर सकते हैं और इस विषय पर घंटों बात कर सकते हैं।

    उन्होंने आगे कहा कि एक धारणा जोर पकड़ रही है कि अमीर और शक्तिशाली भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका में जमानत का आदेश प्राप्त करके आसानी से बच सकते हैं, भले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की प्रथा को फोरम शॉपिंग करार दिया हो।

    बेंच ने इस बयान पर कड़ा ऐतराज जताया।

    बेंच ने कहा,

    "आवेदन का लहजा और भाव ... सोची समझी चाल और इस अदालत की छवि को खराब करने के दुर्भावनापूर्ण प्रयास को दर्शाता है। आवेदक की धृष्टता और निर्लज्जता उसके आचरण से स्पष्ट है। हम इस तरह के रवैये और आचरण की कड़ी निंदा करते हैं।

    अदालत ने आपराधिक कार्यवाही में तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के पहलू पर कानून पर प्रकाश डाला। अदालत ने कहा कि किसी अजनबी को आपराधिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

    इसमें कहा गया,

    "हम किसी अजनबी को अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी लाभकारी उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए साधन बनने की अनुमति नहीं दे सकते, जो सामान्य कानूनी प्रक्रिया के से प्राप्त नहीं हो सकता है।"

    अदालत ने उपाध्याय पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए उन्हें तीन सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, मुंबई में राशि जमा करने का निर्देश दिया।

    अदालत ने आवेदन का निस्तारण करते हुए कहा,

    "मामले को 24 फरवरी, 2023 को जुर्माना के आदेश के अनुपालन को दर्ज करने के लिए सूचीबद्ध किया जाए।"

    Next Story