प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ पाकिस्तान निर्मित वीडियो शेयर करने के आरोपी को मिली जमानत

Shahadat

17 Sept 2025 10:50 AM IST

  • प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ पाकिस्तान निर्मित वीडियो शेयर करने के आरोपी को मिली जमानत

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में UAPA और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत गंभीर अपराधों के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को ज़मानत दी। उक्त व्यक्ति पर कथित तौर पर अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियों वाला पाकिस्तान निर्मित वीडियो प्रसारित करने का आरोप है।

    जस्टिस संतोष राय की पीठ ने 'भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने' और 'भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों' सहित गंभीर अपराधों के लिए आरोपी सवेज को ज़मानत दी। उन्हें इस साल 10 मई को गिरफ्तार किया गया था।

    पीठ ने मुकदमे के समापन को लेकर अनिश्चितता, जेलों में भीड़भाड़ और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के मौलिक अधिकार सहित कई कारकों को ध्यान में रखा।

    संक्षेप में मामला

    अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आवेदक ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर पाकिस्तान में तैयार वीडियो प्रसारित किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और/या पुलवामा और पहलगाम आतंकवादी हमलों के लिए उन्हें दोषी ठहराया गया था।

    FIR में आरोप लगाया गया कि वीडियो सांप्रदायिक शांति भंग करने, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने और सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।

    हालांकि, यह एक स्वीकृत तथ्य था कि सवेज ने वीडियो नहीं बनाया बल्कि उसे केवल प्रसारित किया था।

    ज़मानत की मांग करते हुए उनके वकील ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि मोबाइल फ़ोन की बरामदगी पूरी तरह से झूठी थी। जांच अधिकारी ने जांच के दौरान किसी भी स्वतंत्र गवाह से पूछताछ नहीं की थी।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि आवेदक के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 353(2), 147, 152, 196, 197(1)(डी) और UAPA की धारा 13(ए) के तहत दंडनीय अपराध के तहत आरोप नहीं लगाए गए।

    दूसरी ओर, राज्य ने ज़मानत याचिका का विरोध किया। उसने तर्क दिया कि अपराध गंभीर प्रकृति के हैं। ऐसी सामग्री का प्रसार संप्रभुता और एकता के लिए हानिकारक है। उसने यह भी तर्क दिया कि अभियुक्त को रिहा करने से ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति का खतरा होगा।

    दोनों पक्षकारों को सुनने के बाद न्यायालय ने बचाव पक्ष की दलीलों को बल दिया। इस बात पर ज़ोर दिया कि जहां मुकदमे का निष्कर्ष अनिश्चित हो, वहां मुकदमे से पहले की कैद को लंबा नहीं किया जाना चाहिए।

    अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि आवेदक का कोई पूर्व आपराधिक इतिहास नहीं है और अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है।

    अतः, न्यायालय ने उसे निजी मुचलके और दो भारी ज़मानत राशि जमा करने की शर्त पर ज़मानत दी, जिसमें यह भी शामिल था कि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा, गवाहों को धमकाएगा नहीं, या अनावश्यक स्थगन की मांग नहीं करेगा।

    आवेदक-अभियुक्त की ओर से वकील बिपिन शुक्ला और विमलेश कुमार दुबे उपस्थित हुए।

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