यदि समय के भीतर मूल रूप से दायर आरोप पत्र की त्रुटि को सुधार कर फिर से पेश किया जाता है तो अभियुक्त को डिफॉल्ट जमानत नहीं मिल सकती : केरल हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
26 April 2021 11:42 AM IST
केरल हाईकोर्ट ने गत गुरुवार को एक जमानत आदेश में कहा कि अभियुक्त को डिफॉल्ट जमानत नहीं मिल सकती, यदि समय के भीतर मूल रूप से दायर आरोप पत्र की त्रुटि को सुधार कर उसे समय बीत जाने के बाद फिर से पेश किया जाता है।
न्यायमूर्ति अशोक मेनन की एकल पीठ ने नारकोटिक्स (मादक पदार्थ) मामले के एक आरोपी सहारत वी पी की जमानत याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की।
अपीलकर्ता ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 के तहत इस आधार पर डिफॉल्ट जमानत मंजूर करने का कोर्ट से अनुरोध किया था कि मूल रूप से समय सीमा के भीतर दायर आरोप पत्र को समयावधि खत्म होने के बाद फिर से दायर किया गया था। संबंधित अधिकार क्षेत्र वाले कोर्ट ने आरोप पत्र को वापस कर दिया था, क्योंकि ड्रग डिस्पोजल कमेटी की कॉपी अभियुक्त को नहीं सौंपी गयी थी। बाद में इसमें सुधार किया गया था।
कोर्ट ने व्यवस्था दी,
"मौजूदा मामले में, आरोप पत्र में त्रुटि होने के कारण वापस कर दिया गया था। इसका अर्थ यह होता है कि उस त्रुटि को सुधारने की अनुमति दी गयी। त्रुटियां दुरुस्त कर दी गयीं और आरोप पत्र को फिर से दायर किया गया। यह नहीं कहा जा सकता कि इस मामले में सीआरपीसी की धारा 167 (दो) के प्रावधान इस पर लागू होंगे और मूल रूप से आरोप पत्र समय सीमा के भीतर दायर किये जाने के बाद उसकी त्रुटियों को सुधार कर संबंधित प्रावधान में वर्णित अवधि के बाद फिर से पेश किये जाने के कारण अभियुक्त को डिफॉल्ट जमानत मिलेगी।"
इस आधार पर और कुछ अन्य आधारों पर याचिका खारिज कर दी गयी।
संबंधित अधिकार क्षेत्र वाले कोर्ट को ट्रायल का जल्दी से निपटारा करने का निर्देश दिया गया।
केस : सहारत वी पी बनाम केरल सरकार
वकील : एडवोकेट पी वी अनूप (याचिकाकर्ता की ओर से), पीपी संतोष पीटर (सरकार की ओर से)
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