"अंततः आप परिवार के सदस्य हैं": सुप्रीम कोर्ट ने ललित मोदी, उनकी मां बीना मोदी और भाई-बहनों को भारत में मध्यस्थता के जरिए से संपत्ति विवाद को हल करने का सुझाव दिया

LiveLaw News Network

6 Dec 2021 4:59 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ललित मोदी, उनकी मां बीना मोदी और उनके भाई और बहन को भारत में मध्यस्थता (मी‌डिएशन) के जरिए चल रहे पारिवारिक संपत्ति विवाद को हल करने का सुझाव दिया।

    ललित मोदी ने परिवार में संपत्ति विवाद को लेकर सिंगापुर में मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की थी। इसका ललित मोदी की मां बीना मोदी, उनकी बहन चारू और भाई समीरस ने विरोध किया था, जिन्होंने उन कार्यवाही को रोकने के लिए एक मुकदमा दायर किया था।

    चीफ ज‌स्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ललित मोदी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें उनकी मां और भाई-बहनों द्वारा उनके खिलाफ दायर मध्यस्थता निषेधाज्ञा के मुकदमे को बरकरार रखा गया था।

    बेंच ने शुरू में कहा कि परिवार के सदस्य होने के नाते, पक्ष भारत में आर्ब‌िट्रेशन या मीड‌िएशन के लिए सहमत हो सकते हैं, बाद में सुझाव दिया कि उन्हें मीडिएशन का सहारा लेना चाहिए। बेंच ने शुरुआत में यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल एक सुझाव है और पक्ष इससे सहमत नहीं होने का विकल्प चुन सकते हैं।

    याचिकाकर्ता ललित मोदी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के इस बात पर सहमत होने के बाद कि वे आर्बिट्रेशन के लिए तैयार हैं, पीठ ने सुझाव दिया कि दूसरा पक्ष नहीं है।

    हालांकि, प्रतिवादियों (ललित मोदी की मां और भाई-बहनों) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें मीडिएशन से कोई समस्या नहीं है और वास्तव में उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष भी मीडिएशन का सुझाव दिया था।

    श्री साल्वे से बेंच ने कहा,

    "किसी को यह आभास हो सकता है कि आप (ललित मोदी) भारत में नहीं हैं। परिवार के अन्य सदस्य यहां हैं। आप चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता सिंगापुर केंद्र आदि द्वारा तय की जाए। आप अंततः परिवार के सदस्य हैं, जो भी पैसा या संपत्ति आपको अंततः ट्रस्ट डीड के अनुसार मिलेगी। हम आर्ब‌िट्रेशन का का सुझाव नहीं देते हैं, हम मीडिएशन का सुझाव देते हैं।"

    वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल दोनों मीडिएशन के लिए एक स्थान पर निर्णय लेने पर सहमत हुए। पीठ 13 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगी।

    पृष्ठभूमि

    इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने ललित मोदी को निर्देश दिया था कि वे प्रतिवादियों के पक्ष में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद प्रतिवादियों को पावर ऑफ अटॉर्नी की एक प्रति प्रदान करें।

    उन्होंने प्रस्तुत किया था कि प्रतिवादियों के पास सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अटॉर्नी की शक्ति नहीं थी।

    वर्तमान विशेष अनुमति याचिका दिल्ली हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गई है, जिसमें कहा गया था कि दिवंगत उद्योगपति केके मोदी की पत्नी बीना मोदी द्वारा उनके बेटे ललित मोदी के खिलाफ दायर मध्यस्थता निषेधाज्ञा मुकदमा सुनवाई योग्य है।

    ललित मोदी की मां बीना मोदी, उनकी बहन चारू और भाई समीरस ने परिवार में संपत्ति विवाद को लेकर सिंगापुर में ललित मोदी द्वारा शुरू की गई मध्यस्थता की कार्यवाही को रोकने के लिए मुकदमा दायर किया था।

    मार्च में जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की एकल पीठ ने गैर सुनवाई योग्य के रूप में दायर किए गए मुकदमों को खारिज कर दिया था।

    बीना, चारू और समीरस ने दो अलग-अलग मुकदमों में तर्क दिया कि परिवार के सदस्यों के बीच एक ट्रस्ट डीड थी और केके मोदी परिवार ट्रस्ट के मामलों को भारतीय कानूनों के अनुसार किसी विदेशी देश में मध्यस्थता के माध्यम से नहीं सुलझाया जा सकता है।

    केस शीर्षक: ललित कुमार मोदी बनाम डॉ बीना मोदी और अन्य

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