COVID पीड़ित पति के फेफड़ा प्रत्यारोपण के लिए पत्नी ने पीएम केयर्स और सीएम रिलीफ फंड से मांगी मदद, सुप्रीम कोर्ट याचिका पर कल सुनवाई करेगा
LiveLaw News Network
10 Aug 2021 4:11 PM IST
एक पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि उसे पीएम केयर्स और स्टेट सीएम रिलीफ फंड से लगभग एक करोड़ रुपये दिए जाएं ताकि वह अपने पति का फेफड़ा प्रत्यारोपड़ करा सके। पत्नी ने याचिका में कहा है कि उसकी सारी बचत COVID के बाद इलाज कराने में खर्च हो चुकी है, इसलिए उसकी सहायता की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई आज स्थगित कर दी।
आज की सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उन्हें याचिका की प्रति प्रदान करने का अनुरोध किया और पूछा कि क्या मामले को अगले सप्ताह उठाया जा सकता है।
सॉलिसिटर जनरल के प्रस्तुतीकरण पर जस्टिस एलएन राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि हालांकि उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा है कि मौजूदा मामले में कुछ नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्होंने 6 अगस्त, 2021 को नोटिस जारी किया था, यह देखने के लिए कि क्या केंद्र की ओर से कुछ हो सकता है।
जस्टिस एलएन राव ने कहा, "हमने पहले ही याचिकाकर्ता से कहा है कि कुछ नहीं किया जा सकता है, लेकिन हमने केवल यह देखने के लिए कि क्या आपकी ओर से कुछ किया जा सकता है, यह काम किया है। हम आपको एक प्रति देने और कल मामले की सुनवाई करने का निर्देश देंगे।"
यह दलील दी गई कि याचिकाकर्ता समानता, न्याय और भले मन के आधार पर राहत की हकदार है और उसे अपने पति के जीवन को बचाने के लिए वित्तीय संकट की स्थिति में सरकार से मदद की वैध उम्मीद थी।
याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता के पति के जीवन को बचाने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है और इसे मौजूदा COVID-19 स्थिति में विशेष रूप से नागरिकों को पर्याप्त स्वास्थ्य संरक्षण प्रदान करने में राज्य की ओर से निष्क्रियता के रूप में देख जा सकता है।"
याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह खुद पीएम केयर्स फंड और पीएमएनआरएफ से अपने पति के चिकित्सा खर्च के लिए अनुदान की मांग करने प्रधानमंत्री कार्यालय गई थीं, हालांकि काउंटर पर कर्मचारियों ने आवेदन को रूप में नहीं लिया, क्योंकि वह निर्वाचन क्षेत्र के संसद सदस्य के सिफारिश पत्र के साथ नहीं था।
उन्होंने कहा कि काउंटर पर मौजूद कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के सांसद का सिफारिश पत्र आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए लिए एक अनिवार्य दस्तावेज है।
याचिका में कहा गया है, " पीएम केयर्स फंड संकट की स्थिति में व्यक्तियों को राहत प्रदान करने का राष्ट्रीय प्रयास है। उक्त फंड से संवितरण आवश्यकता के आधार पर और फंड को नियंत्रित करने वाले ट्रस्ट के डीड के अनुसार किया जाना चाहिए, हालांकि, उक्त विवेक का प्रयोग उचित तरीके से और दिमाग के उचित उपयोग के बाद किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता का मामला एक उपयुक्त मामला है जहां प्रतिवादी संख्या 2 द्वारा संवितरण किया जाना चाहिए था।"
याचिका सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन बनाम यूओआई 2020 SCC ऑनलाइन SC 652 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करती है, जिसमें यह माना गया था कि किसी भी प्रकार की आपातकालीन या संकट की स्थिति से निपटने का प्राथमिक उद्देश्य, जैसे कि COVID-19 महामारी द्वारा उत्पन्न संकट है, प्रभावितों को राहत प्रदान करना है।
परमानंद कटारा बनमा ययूओआई और अन्य (1989) 4 SCC 286 पर भी भरोसा रखा गया है, जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि जीवन को संरक्षित करना राज्य का दायित्व है। पश्चिम बंगा खेत मजदूर समिति बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1996) 4 SCC 37 पर भरोसा किया गया, जिसमें न्यायालय ने एक सरकारी अस्पताल में बिस्तर की अनुपलब्धता के लिए रोगी को चिकित्सा उपचार से वंचित करने को अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के रूप में माना था।
केस टाइटिल: शीला मेहरा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य | डब्ल्यूपी (सी) संख्या 825/2021