'जब भी कोई नई अदालत स्थापित होती है, वकील विरोध करते हैं, अदालतें सिर्फ़ वकीलों के लिए नहीं, मुक़दमों के लिए होती हैं': सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
1 Aug 2025 12:13 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश में कोर्ट शिफ्टिंग को चुनौती देने वालक याचिका खारिज करते हुए वकीलों द्वारा नई अदालतों की स्थापना का विरोध करने की प्रवृत्ति पर मौखिक टिप्पणी की।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मछलीपट्टनम बार एसोसिएशन द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया गया, जिसमें मछलीपट्टनम के छठे एडिशनल ज़िला एवं सेशन कोर्ट को मछलीपट्टनम से अवनीगड्डा शिफ्टिंग करने को चुनौती दी गई थी।
याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए चीफ जस्टिस गवई ने याचिकाकर्ता से कहा,
"जब भी कोई नई अदालत स्थापित होती है, वकील हमेशा विरोध करते हैं। अदालतें सिर्फ़ वकीलों के लिए नहीं होतीं, वे मूल रूप से मुक़दमों के लिए होती हैं। हम दरवाज़े पर न्याय, ग्राम न्यायालय... और ये सब की बात कर रहे हैं।"
याचिकाकर्ता, बुरागड्डा अशोक कुमार (जो हाईकोर्ट में भी याचिकाकर्ता थे) ने याचिका वापस लेने का फैसला किया।
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए कि न्यायालय को अवनीगड्डा शिफ्टिंग करने से मछलीपट्टनम के वकीलों को कुछ असुविधा होगी, यह भी कहा कि इस शिफ्टिंग से वादियों के व्यापक हित सुरक्षित रहेंगे। हाईकोर्ट ने कहा कि अवनीगड्डा क्षेत्र के वादियों को हर सुनवाई की तारीख पर अपने मामले दायर करने के लिए इतनी दूर जाने से राहत मिलेगी।
हाईकोर्ट ने कहा,
"न्याय व्यवस्था वादियों के लाभ के लिए है, जिनकी सुविधा और चिंताएं उच्च न्यायपालिका के साथ निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिसमें न्यायालय की शिफ्टिंग से संबंधित निर्णय भी शामिल है।"
Case : BURAGADDA ASHOK KUMAR Vs THE HONBLE HIGH COURT OF ANDHRA PRADESH | SLP(C) No. 17931/2025

