उमर खालिद और अन्य की जमानत का कोई आधार नहीं, खेल रहे हैं विक्टिम कार्ड: सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस की दलील
Shahadat
30 Oct 2025 3:29 PM IST

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों की व्यापक साज़िश के मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, गुलफ़िशा फ़ातिमा और शिफ़ा उर रहमान को ज़मानत दिए जाने का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर किया। पुलिस ने कहा कि याचिकाकर्ता लंबी कैद के आधार पर "पीड़ित कार्ड" खेलने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि वे ख़ुद ही मुकदमे में देरी के लिए ज़िम्मेदार हैं।
हलफ़नामे में पुलिस ने तर्क दिया कि देरी के आधार पर ज़मानत का कोई आधार नहीं बनता। साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता ख़ुद "दुर्भावनापूर्ण और शरारती" कारणों से मुकदमे की शुरुआत को स्थगित करने के लिए ज़िम्मेदार है।
"याचिकाकर्ताओं द्वारा ज़मानत का कोई आधार नहीं बनाया गया। यह दलील दी गई कि यह उन याचिकाकर्ताओं पर लागू नहीं होता, जिन्होंने दुर्भावनापूर्ण और शरारती कारणों से मुक़दमे की शुरुआत में देरी करके पीड़ित होने का नाटक किया और लंबी कैद के आधार पर ज़मानत मांगी।"
याचिकाकर्ताओं का प्रयास पूरे भारत में सशस्त्र विद्रोह भड़काना था।
इसके अलावा, दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि अभियुक्तों का आचरण, उनके विरुद्ध उपलब्ध अकाट्य और प्रत्यक्ष साक्ष्यों के अलावा, उन्हें अदालत से ज़मानत की कोई भी राहत मांगने से "अयोग्य" बनाता है।
हलफ़नामे में कहा गया:
"याचिकाकर्ता द्वारा रची गई, पोषित और क्रियान्वित की गई साज़िश का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करके देश की संप्रभुता और अखंडता पर प्रहार करना है; भीड़ को न केवल सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने के लिए उकसाना था, बल्कि उन्हें सशस्त्र विद्रोह के लिए उकसाना है।"
दिल्ली पुलिस ने कहा कि उनके द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्य बताते हैं कि याचिकाकर्ता पूरे भारत में ऐसी साज़िश को अंजाम देना चाहते है।
"रिकॉर्ड में मौजूद सबूत बताते हैं कि इस साजिश को पूरे भारत में दोहराने और अंजाम देने की कोशिश की गई।"
दिल्ली पुलिस का कहना है,
"देश की अखंडता और संप्रभुता की जड़ों पर हमला करने वाले सर्वोच्च स्तर के जघन्य अपराध के लिए याचिकाकर्ताओं को ज़मानत की कोई छूट नहीं दी जा सकती।"
दिल्ली पुलिस ने एक अन्य आरोपी के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा की गई इस टिप्पणी का भी हवाला दिया कि मुकदमे में देरी के लिए आरोपी स्वयं ज़िम्मेदार है।

