'स्वतंत्रता के मामलों में एक दिन की भी देरी नहीं होनी चाहिए': सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर सुनवाई में देरी पर चिंता व्यक्त की
Shahadat
30 May 2025 10:29 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जमानत याचिका पर फैसला करने में देरी पर चिंता व्यक्त की, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों की नागरिक स्वतंत्रता से संबंधित मामलों की शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता पर बार-बार टिप्पणी की है।
न्यायालय ने इस तथ्य पर विचार किया कि जिस पीठ के समक्ष जमानत याचिका लंबित है, उसे अवकाश अवधि के दौरान बैठना था तथा पीठ से 9 जून को मामले पर निर्णय लेने को कहा।
आदेश में कहा गया:
"इस न्यायालय ने बार-बार नागरिकों की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया। बार-बार कहा जाता है कि नागरिकों की स्वतंत्रता से संबंधित मामले पर निर्णय लेने में एक दिन की भी देरी नहीं होनी चाहिए। हमें कोई कारण नहीं दिखता कि मामले पर निर्णय लेने में इतना लंबा समय क्यों लगा।"
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई तथा जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ गोवर्धन माइंस एंड मिनरल्स से जुड़े एक प्रमुख व्यक्ति वेदपाल सिंह तंवर की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हरियाणा में अवैध पत्थर और खनिज खनन के संबंध में 25.16 करोड़ की संपत्ति जब्त की है।
ED की जांच हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HPCB) द्वारा गोवर्धन माइंस एंड मिनरल्स के खिलाफ शिकायत दर्ज किए जाने के बाद हुई। तंवर को 31 मई को गिरफ्तार किया गया। 2024 में साकेत की विशेष अदालत ने उनकी नियमित जमानत खारिज कर दी थी। अप्रैल 2025 में उन्हें मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत मिली।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हाईकोर्ट मामले में अंतिम निर्णय लेने में देरी कर रहा है।
उन्होंने समझाया:
"यह एक दुष्चक्र की तरह हो गया, हम मामले पर बहस करते हैं, ED समय लेता है, फिर रोस्टर बदलता है। फिर हम फिर से बहस करते हैं, फिर से समय लगता है। यह चौथी बार है, जब हम मामले पर बहस कर रहे हैं। जमानत का निपटारा बिल्कुल नहीं किया जा रहा है। मुझे 31 मई, 2024 को गिरफ्तार किया गया, आज तक माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन पक्ष की शिकायत पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।"
ED की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने हिरासत चार्ट का हवाला दिया और बताया कि याचिकाकर्ता 212 दिनों से अंतरिम जमानत पर है। उन्होंने इस तर्क का खंडन किया कि ED ने स्थगन की मांग की थी, इसके बजाय, उन्होंने जोर दिया कि "मामले की पूरी सुनवाई के बाद जजों ने खुद को अलग कर लिया- इसलिए इस पर सुनवाई नहीं हुई।"
उन्होंने कहा कि जेल में तंवर की कुल हिरासत 115 दिन रही है और अस्पताल में हिरासत 38 दिन रही है, जबकि 212 दिनों तक वह अंतरिम जमानत पर था। तंवर के वकील ने जवाब दिया कि जजों ने खुद को अलग नहीं किया, बल्कि रोस्टर तीन बार बदला। उन्होंने जोर देकर कहा कि गुण-दोष पर बहस 27 नवंबर, 2024 को समाप्त हो गई और कुल 26 सुनवाई हुई।
इसी पर विचार करते हुए न्यायालय ने जोर दिया कि सिद्धांत रूप में न्यायालयों को नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों पर शीघ्रता से निर्णय लेने की आवश्यकता है। हाईकोर्ट की संबंधित पीठ को अवकाश पीठ की सुनवाई के दौरान 9 जून को मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया गया।
खंडपीठ ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:
"इस न्यायालय ने बार-बार नागरिकों की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया। बार-बार यह कहा जाता है कि नागरिकों की स्वतंत्रता से संबंधित मामले पर निर्णय लेने में एक दिन की भी देरी नहीं होनी चाहिए। हमें कोई कारण नहीं दिखता कि मामले को किसी भी तरह से तय करने में इतना लंबा समय क्यों लगा। हमें सूचित किया गया कि माननीय जज 8-16 जून तक बैठ रहे हैं। इसलिए हम दिल्ली हाईकोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि मामले को जज के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जो 9 जून को अवकाश पीठ में बैठे हैं ताकि पक्षों की सुनवाई के बाद मामले पर तुरंत निर्णय लिया जा सके।"
Case details : VEDPAL SINGH TANWAR Versus DIRECTORATE OF ENFORCEMENT| W.P.(Crl.) No. 231/2025

