'लंबित फैसले लिखने की अनुमति लें': सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के जजों से कहा
Shahadat
11 Aug 2025 10:04 AM IST

झारखंड हाईकोर्ट द्वारा फैसले सुनाने में लगातार हो रही देरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने जजों को सुझाव दिया कि वे अवकाश लेकर लंबित मामलों का निपटारा करें।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ राज्य में होमगार्ड की भर्ती प्रक्रिया से संबंधित शिकायतों वाली 6 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट 2 साल (2023 से) बीत जाने के बावजूद याचिकाकर्ताओं के मामलों में फैसला सुनाने में नाकाम रहा।
याचिकाकर्ताओं को 2017 में हुई होमगार्ड की भर्ती प्रक्रिया में सफल घोषित किया गया था। हालांकि, चयन के बावजूद, उनकी नियुक्ति लंबित रही। उन्होंने राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 2023 में हाईकोर्ट ने उनके मामलों में फैसला सुरक्षित रख लिया। लेकिन 2 साल बीत जाने के बावजूद, इन मामलों में फैसला नहीं सुनाया गया।
8 अगस्त को सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं के मामलों में आदेश जारी कर दिए गए। लेकिन, हाईकोर्ट द्वारा सीलबंद लिफ़ाफ़े में दायर की गई रिपोर्ट पर गौर करते हुए न्यायालय ने पाया कि 61 अन्य मामलों में फ़ैसले अभी जारी नहीं किए गए। इसलिए न्यायालय ने झारखंड हाईकोर्ट जजों से कहा कि वे बिना 'न्यायशास्त्र' आदि पर ज़्यादा ध्यान दिए इन मामलों में 'तर्कसंगत' फ़ैसले जारी करें।
इस मामले को नवंबर में सूचीबद्ध करते हुए न्यायालय ने हाईकोर्ट से लंबित आरक्षित फ़ैसलों के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया।
गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दो अन्य मामले विचाराधीन हैं, जिनमें झारखंड हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक मामलों में आरक्षित फ़ैसले जारी न किए जाने का मुद्दा उठाया गया। इसे गंभीरता से लेते हुए जस्टिस कांत की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अप्रैल में झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सीलबंद लिफ़ाफ़े में आरक्षित फ़ैसलों के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था। बाद में मांगी गई रिपोर्ट का दायरा सभी हाईकोर्ट तक बढ़ा दिया गया और इसमें दीवानी मामले भी शामिल कर लिए गए।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप कुछ लंबित फ़ैसले जारी किए गए।
Case Title: POONAM KUMARI Versus THE STATE OF JHARKHAND AND ORS., W.P.(C) No. 489/2025 (and connected cases)

