सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से BNS, BNSS और BSA को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया

Shahadat

29 Aug 2025 4:47 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से BNS, BNSS और BSA को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया

    सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह तीन नए आपराधिक कानूनों, भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) की संवैधानिक वैधता के प्रश्न पर उसके समक्ष लंबित रिट याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करे।

    न्यायालय ने आदेश दिया,

    "इस मुद्दे के महत्व और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि रिट याचिकाएं प्रभावी सुनवाई की प्रतीक्षा कर रही हैं, हम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से अनुरोध करते हैं कि वे सभी मामलों को एक खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत करें, साथ ही इन मामलों में शीघ्र/बिना बारी के सुनवाई का अनुरोध भी करें।"

    जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल एम पंचोली की बेंच तमिलनाडु और पांडिचेरी के बार एसोसिएशनों के एक संघ द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट से मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई।

    ट्रांसफर की मांग इस आधार पर की गई कि नए आपराधिक कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाएं पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इसके अलावा, बेंच को सूचित किया गया कि हाईकोर्ट द्वारा 25 सितंबर, 2024 को इन याचिकाओं पर नोटिस जारी किया गया। हालांकि, तब से सुनवाई की कोई प्रभावी तिथि निर्धारित नहीं की गई।

    यह देखते हुए कि हाईकोर्ट का दृष्टिकोण सहायक होगा, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता से लंबित रिट याचिकाओं में हाईकोर्ट की सहायता करने का आग्रह किया ताकि उसे तीनों केंद्रीय कानूनों की वैधता के संबंध में हाईकोर्ट की राय का लाभ मिल सके।

    गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता पक्ष ने दिल्ली के उपराज्यपाल (Delhi LG) की उस अधिसूचना पर आपत्ति जताई, जिसमें दिल्ली के सभी पुलिस थानों को पुलिसकर्मियों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालतों में साक्ष्य प्रस्तुत करने और गवाही देने के स्थान के रूप में नामित किया गया था।

    इसके जवाब में जस्टिस कांत ने कहा,

    "आप जो उठा रहे हैं, वह विशुद्ध रूप से संवैधानिक वैधता का प्रश्न है, विशुद्ध रूप से कानून का प्रश्न है। किसी भी मामले के तथ्य प्रासंगिक नहीं होंगे।"

    Case Title: FEDERATION OF BAR ASSOCIATIONS OF TAMIL NADU AND PUDUCHERRY Versus UNION OF INDIA AND ORS., T.P.(Crl.) No. 690-692/2025

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