7 साल तक दाखिल नहीं की गई चार्जशीट, सुप्रीम कोर्ट ने PMLA मामले में ट्रायल पर लगाई रोक
Shahadat
28 July 2025 11:05 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत एक मामले में 4 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई पर रोक लगा दी, जिसमें 7 साल से आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने सीनियर एडवोकेट पीबी सुरेश (याचिकाकर्ताओं की ओर से) की दलील सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। सुरेश ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं का नाम इस अपराध में नहीं है और सवाल उठाया कि जब आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया तो PMLA मामले में सुनवाई कैसे आगे बढ़ सकती है।
याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सुनवाई पर रोक लगाते हुए खंडपीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और इंडियन बैंक को नोटिस जारी किया।
संक्षेप में मामला
2018 में CBI ने मेसर्स सेथर लिमिटेड और अन्य के खिलाफ इंडियन बैंक की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120बी/406/420/468/471 के तहत FIR दर्ज की थी। इसके बाद ED ने FIR के आधार पर एक ECIR दर्ज की, जिससे याचिकाकर्ता अभियोजन के दायरे में आ गए। याचिकाकर्ताओं ने मामले में बरी करने के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई। बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ आपराधिक पुनर्विचार याचिका मद्रास हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। व्यथित होकर याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचिकाकर्ता सभी महिलाएं हैं। उन्होंने आरोपी कंपनी के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के परिवार की सदस्य होने का दावा किया। उनका दावा है कि कंपनी के वित्तीय या परिचालन संबंधी निर्णयों तक उनकी न तो पहुंच थी और न ही उन्होंने उनमें भाग लिया था, और केवल आरोपी पूर्व अध्यक्ष और एमडी के साथ पारिवारिक संबंधों के आधार पर उन्हें आपराधिक अभियोजन में घसीटा गया।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि CBI की FIR में उनका नाम नहीं था और अपराध की आय के कब्जे का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके आभूषण आदि जब्त कर लिए गए और आरोपी कंपनी का परिसमापन हो रहा है।
प्रार्थनाओं के समर्थन में भारती सीमेंट कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड बनाम प्रवर्तन निदेशालय के फैसले पर भरोसा किया गया, जिसमें तेलंगाना हाईकोर्ट ने भारती सीमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के विरुद्ध निर्धारित अपराध की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के निर्णय तक धन शोधन के अपराध से संबंधित मुकदमे को स्थगित करने का निर्देश दिया था।
उल्लेखनीय है कि यह मामला भारती सीमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड को खनन पट्टों के आवंटन और आंध्र प्रदेश सरकार को दिए गए अनुचित लाभ के बदले में निवेश की आड़ में रिश्वतखोरी के आरोपों से संबंधित था। प्रवर्तन निदेशालय ने भारती सीमेंट और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पत्नी भारती रेड्डी सहित कई अन्य लोगों के विरुद्ध धन शोधन का मामला दर्ज किया था।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन अंततः प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर इसे वापस ले लिया गया।
एस मार्टिन बनाम प्रवर्तन निदेशालय में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी भरोसा किया जाता है, जहां भारत के लॉटरी उद्योग की दिग्गज कंपनी सैंटियागो मार्टिन के संबंध में PMLA मुकदमे पर शुरू में रोक लगा दी गई थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने CBI के पूर्व-निर्धारित मामले के निपटारे तक PMLA मुकदमे को स्थगित करने से इनकार करने वाले स्पेशल कोर्ट के आदेश के खिलाफ मार्टिन की याचिका स्वीकार कर ली। हालाँकि, बाद में दोनों मुकदमों (PMLA मामले और पूर्व-निर्धारित मामले में) को इस शर्त के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी गई कि स्पेशल कोर्ट PMLA मामले में फैसला नहीं सुनाएगी।
Case Title: S. SRIVIDHYA AND ORS. Versus ASSISTANT DIRECTOR AND ANR., SLP(Crl) No. 10113-10115/2025

