सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में 2025 में मान्यता प्राप्त संस्थानों को 2023-24 और 2024-25 सत्रों के लिए पैरामेडिकल कोर्स संचालित करने से रोकने वाले आदेश पर लगाई रोक

Shahadat

2 Aug 2025 10:22 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में 2025 में मान्यता प्राप्त संस्थानों को 2023-24 और 2024-25 सत्रों के लिए पैरामेडिकल कोर्स संचालित करने से रोकने वाले आदेश पर लगाई रोक

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (1 अगस्त) को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित उस अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य पैरामेडिकल परिषद द्वारा 2025 में मान्यता प्राप्त पैरामेडिकल कोर्स संचालित करने वाले संस्थानों को 2023-2024 और 2024-2025 के शैक्षणिक सत्र संचालित करने से रोक दिया गया था।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश पैरामेडिकल परिषद के रजिस्ट्रार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया।

    मध्य प्रदेश पैरामेडिकल परिषद की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि यह वैधानिक निकाय है। कोर्स आमतौर पर हर साल नवंबर में शुरू होते हैं। COVID-19 के कारण कोर्स दो साल विलंबित हो गए और 2022 तक कोई एडमिशन नहीं हुआ। 5 मार्च, 2024 को केंद्रीय अधिनियम, राष्ट्रीय संबद्ध एवं स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय आयोग अधिनियम, 2021 के मद्देनजर, मध्य प्रदेश परिषद को भंग कर दिया गया था। इस समय तक शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए आवेदन प्राप्त हो चुके थे, और मामला आगे नहीं बढ़ सका।

    11 नवंबर, 2024 को राज्य सरकार ने परिषद को पुनर्जीवित किया, क्योंकि केंद्रीय अधिनियम के तहत नियम अभी तक नहीं बनाए गए। इस वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच 166 संस्थानों को वर्ष 2023-24 के लिए मान्यता प्रदान की गई। साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि शिक्षण सत्र पूर्वव्यापी नहीं होंगे।

    रोहतगी ने कहा,

    "इसलिए यदि कोई स्टूडेंट आज आता है तो उसे दो वर्ष बिताने होंगे। हालांकि तकनीकी रूप से यह 2023-24 से पीछे चला जाता है। ऐसा नहीं है कि उसे 2023 से पूर्वव्यापी अध्ययन करना होगा।"

    मार्च से जुलाई तक अगले वर्ष, 2024-2025 के लिए भी मान्यता प्रदान की गई। रोहतगी ने आगे कहा कि इस वर्ष नवंबर तक सत्र वर्तमान वर्ष के लिए होंगे।

    रोहतगी ने दलील दी कि हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन द्वारा दायर आवेदन पर पारित किया गया था, जिसका पैरामेडिकल कोर्स से कोई लेना-देना नहीं है।

    सीनियर वकील ने कहा,

    "हाईकोर्ट को लगता है कि अगर मैं 2023-24 के लिए मान्यता प्रदान करता हूं तो कक्षाएं 2023 से शुरू और अब पूरी मानी जाएंगी। यह सही नहीं है।"

    उन्होंने आगे कहा,

    "लॉ स्टूडेंट्स इसे कैसे चुनौती दे सकते हैं? अब यह पूरी तरह से बंद है। हमें पैरामेडिक्स, लैब असिस्टेंट और तकनीशियनों की ज़रूरत है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कोविड के कारण समय सीमा बढ़ा दी है।"

    अंतरिम स्थगन आदेश पारित करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा,

    "लॉ स्टूडेंट्स का इससे क्या लेना-देना है?"

    हाईकोर्ट ने कहा कि 2023-24 के लिए पैरामेडिकल कोर्स प्रदान करने वाले संस्थान, जबकि वे स्वयं 2025 में अस्तित्व में आए थे, तर्क से परे हैं।

    जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस दीपक खोत की हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा था:

    "निस्संदेह, 2023-24 का पाठ्यक्रम नहीं चलाया जा सकता, क्योंकि इनमें से कोई भी संस्थान अस्तित्व में नहीं आया। ये 166 संस्थान राज्य पैरामेडिकल परिषद द्वारा मान्यता प्रदान किए जाने की तिथि से ही अस्तित्व में माने जा सकते हैं। वह मान्यता स्वयं वर्ष 2025 में प्रदान की गई थी। यह सभी तर्कों और संवेदनशीलता को झुठलाता है और एक समझदार व्यक्ति की विवेकशीलता पर प्रश्नचिह्न लगाता है कि इन संस्थानों को वर्ष 2023-24 के लिए कोर्स शुरू करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है... संस्थानों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया जाता है कि वे सत्र 2023-24 शुरू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाएंगे। ऐसा करने का (संस्थानों द्वारा) कोई भी प्रयास इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश का सीधा उल्लंघन माना जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप अवमानना कार्यवाही होगी। इसी प्रकार 2024-25 का पाठ्यक्रम भी स्थगित रहेगा..."

    Case : REGISTRAR, M. P. PARAMEDICAL COUNCIL VS. LAW STUDENTS ASSOCIATION | 41298/2025

    Next Story